कार्तिकेय को माना जाता है टिकट का दावेदार
शिवराज ने 2003 का विस चुनाव तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ लड़कर हारा था, लेकिन भाजपा की सरकार बनी। फिर उमा भारती (uma bharti) और बाबूलाल गौर के बाद शिवराज नवंबर 2005 में सीएम बने। तब बुदनी सीट से उपचुनाव लड़कर जीते। तब से बुदनी पर शिवराज का कब्जा है। चुनावों में शिवराज अपने पुत्र कार्तिकेय और पत्नी साधना को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपते रहे हैं। ऐसे में कार्तिकेय को टिकट का दावेदार माना जाता है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व की गाइडलाइन आड़े आ सकती है। शिवराज लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो उपचुनाव में कार्तिकेय को टिकट को लेकर सवाल उठेंगे। किसी दूसरे को टिकट दिया जाता है तो यह शिवराज के गढ़ का हस्तांतरण जैसा कदम माना जा सकता है। दोनों सूरत में चयन मुश्किल होगा।कांग्रेस के इन विधायकों ने लड़ा है लोकसभा चुनाव
कांग्रेस की ओर से चार मौजूदा विधायकों या उनमें से किसी के भी लोकसभा चुनाव (lok sabha chunav 2024) जीतने पर उस विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव की स्थिति बन सकती है। अभी कांग्रेस के (तस्वीरों में क्रमश:) भांडेर विधायक फूलसिंह बरैया ने भिंड संसदीय क्षेत्र से, सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह ने सतना से, पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल मार्को ने शहडोल से और डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने मंडला संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा है। इनके जीतने की स्थिति में संबंधित विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय समीकरणों पर असर होगा।उपचुनावों की सियासत बड़ी पुरानी
2020 में सत्ता परिवर्तन का:मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 विधायकों के साथ कांग्रेस से भाजपा में जाने के बाद 28 सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें 22 सिंधिया के साथ दल बदलने वाले थे तो बाकी भाजपा के जरिए दलबदल करने वाले और निधन से खाली तीन सीटों पर उपचुनाव हुए। 19 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया। इसके बाद भाजपा की सरकार बनी।
दस साल की दिग्विजय सरकार को बेदखल कर जब भाजपा सरकार बनी तो पहले उमा भारती और फिर बाबूलाल गौर सीएम बने। सियासी द्वंद्व में इनकी कुर्सियां गईं तो शिवराज लोकसभा छोड़क विधानसभा में आए। बुदनी में उपचुनाव के जरिए जीतकर विधायक और सीएम बने। इसके बाद अब तक शिवराज विधायक हैं। उनका उपचुनाव जीतकर आना प्रदेश के सियासी इतिहास का अहम टर्निंग पॉइंट है।
2018 में कांग्रेस सरकार बनी तो सीएम बनने कमलनाथ (kamal nath) और ज्योतिरादित्य सिंधिया की भारी खींचतान थी। कांग्रेस हाईकमान ने कमलनाथ को चुना। इसके बाद कमलनाथ सीएम बने और दीपक सक्सेना ने अपनी सीट छोड़ी। कमलनाथ छिंदवाड़ा (chhindwara) से उपचुनाव जीते। कमलनाथ अब भी विधायक हैं। इस बार कमलनाथ ने पुत्र नकुलनाथ (nakul nath) को ही दोबारा लोकसभा में उतारा।
संविद सरकार के समय विजयाराजे सिंधिया (vijayaraje scindia) के पक्ष में 36 विधायकों का दलबदल करना भी अहम मोड़ है। दिग्विजय का लोकसभा छोड़ विधानसभा में आना टर्निंग पॉइंट रहा। कमलनाथ की छिंदवाड़ा लोस सीट पर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुंदरलाल पटवा की जीत अहम है। छिंदवाड़ा के इतिहास में यह एकमात्र जीत भाजपा की रही।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से लोकसभा चुनाव लड़े हैं। राज्यसभा सदस्य सिंधिया का कार्यकाल 19 जून 2026 तक है। यदि सिंधिया जीतते हैं तो उनकी सीट पर उपचुनाव होगा। विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से यह सीट भाजपा के ही खाते में जाना है इसलिए कई दिग्गजों की नजरें हैं। यहां तक कि कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी (सुरेश पचौरी) को भी दावेदार माना जा रहा है। हालांकि पचौरी इनकार कर चुके हैं। मौजूदा गुना सांसद डॉ. केपी यादव (dr kp yadav, guna, mp) की भी दावेदारी मानी जा रही है।