
फूलों से गुलाल बनातीं महिलाएं
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। (निर्मल राजपूत) होली पर अबीर-गुलाल का इस्तेमाल तो हर कोई करता है, लेकिन जब ये गुलाल ठाकुरजी के चरणों में अर्पित किए गए फूलों से बना हो तो लोगों की आस्था रंग या गुलाल में और भी प्रगाढ़ हो जाती है। विधवा माताओं द्वारा बनाए गए हर्बल गुलाल की बिक्री जोरों पर है और अब तक करीब 1 कुंटल हर्बल गुलाल आश्रय सदन की तरफ से बेचा जा चुका है। हर्बल गुलाल की बिक्री को बढ़ाने के लिए ई-कॉमर्स साइट के जरिए भी गुलाल की बिक्री की जा रही है।
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वृन्दावन के चैतन्य बिहार स्थित महिला आश्रय सदन में रह रही निराश्रित माताएं गुलाल बनाने में जुटी हैं। ब्रजगंधा प्रसाद समिति के प्रोडक्ट कॉर्डिनेटर विक्रम शिवपुरी ने बताया कि अपनी सुविधा के अनुसार यहां रह रही माताएं समय निकाल कर फूलों से हर्बल-गुलाल तैयार करने में जुटी हैं। जिला प्रोबेशन अधिकारी अनुराग श्याम रस्तोगी ने बताया कि मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से गुलाल और अगरबत्ती बनाने का काम पिछले वर्ष शुरू किया गया था। पिछले साल होली पर करीब 1 क्विंटल गुलाल बनाकर करीब 1 लाख रुपए का बिक्री किया गया था और इसकी बढ़ती डिमांड को देखते हुए इस बार करीब 2 क्विंटल गुलाल तैयार किया गया है। भगवान बांके बिहारी मंदिर में चढ़ने वाला फूल सबसे ज्यादा फूल बंगलों के दौरान आता है। इस दौरान प्रतिदिन करीब 40-50 किलो फूल आते हैं । उन्होंने बताया कि चढ़ावे के फूलों की सबसे पहले सफाई जैसे धागा निकलना आदि काम इन महिलाओं द्वारा किया जाता है जिसके बाद छंटाई का काम होता है। बाद में फूलों को सुखाया जाता है और फिर पीसकर उनका पाउडर तैयार करके रख लिया जाता है। इस पाउडर का इस्तेमाल अगरबत्ती बनाने में भी होता है। लेकिन होली पर इससे गुलाल तैयार किया जाता है। इस बार 2 क्विंटल गुलाल तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
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सरकार की ओर से तो यहां रह रही निराश्रित माताओं को पेंशन मिलती ही है लेकिन अगरबत्ती और गुलाल बनाने के एवज में भी इन महिलाओं को इनके काम के समय के मुताबिक पारिश्रमिक दिया जाता है। जिला प्रोबेशन अधिकारी अनुराग श्याम रस्तोगी ने बताया कि चैतन्य विहार आश्रय सदन में करीब 230 महिलाएं रह रही हैं। लेकिन इन दिनों चल रहे गुलाल बनाने के काम में वे अपनी सुविधा और समय के अनुसार ही काम करती हैं। समय के हिसाब से उन्हें बकायदा इसके लिए पारिश्रमिक भी दिया जाता है। डीपीओ ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले वृद्ध माताओं को कम मेहनत कर आजीविका के अतिरिक्त साधन उपलब्ध कराने की सोच के साथ इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया।
उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते इस बार जो माताएं हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए काम कर रही हैं। 1 फरवरी से काम की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे काम ने गति पकड़ी। तकरीबन 100 माताएं फूलों से अलग-अलग गुलाल तैयार कर रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पीला हरा लाल और मजेंटा चार कलर के गुलाल हमारे पास में उपलब्ध है।
Published on:
25 Mar 2021 12:55 pm
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