
chadar aarti
मथुरा। नवरात्र में बृज के प्रसिद्ध नरी सेमरी देवी मंदिर में तीज की चमत्कारी आरती संपन्न हुई। सफेद चादर से आर पार होती आरती की ज्योति को देखने के लिए मथुरा के प्रसिद्ध नरी सेमरी देवी मंदिर में हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे। ये चमत्कारिक आरती साल में केवल चैत्र नवरात्रों के तीसरे दिन ही संपन्न होती है।
कांगड़ा से चलकर आईं थी मां
नरीसेमरी गांव के प्राचीन मंदिर में विराजमान मां नरी सेमरी को नगरकोट वाली देवी भी कहा जाता है। इस मंदिर में इन दिनों देवी का मेला लगा हुआ है। इस मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि माता नगर कोट वाली देवी का एक भक्त था जिसका नाम धांधू था। वो माता को अपने शहर आगरा लाना चाहता था। अपनी भक्ति से उसने माता को प्रसन्न किया तो माता ने उसे वरदान मांगने के लिए कहा। भक्त ने माता से कहा कि वे उसके साथ चलें। भक्त की मुराद पूरी करने के लिए माता कांगड़ा देवी ने हामी भर दी, लेकिन साथ ही एक शर्त भी रखी। माता ने कहा कि तुम आगे चलोगे और मैं तुम्हारे पीछे। लेकिन अगर तुमने पीछे मुड़ कर देखा तो मैं हमेशा के लिए उसी स्थान पर विराजमान हो जाउंगी।
धांधू भगत ने माता की शर्त को स्वीकार कर लिया। जब भक्त धांधू मथुरा के नरी गांव पहुंचा तो उसने पीछे मुड़कर देखा कि माता आ रही हैं या नहीं। जैसे ही वो पलटा तो माता उस समय जिस स्थान पर थीं, वहीं स्थापित हो गईं। तब से लेकर आज तक देवी यही विराजमान हैं।
पारंपरिक आरती है चादर आरती
चादर आरती माता की पारंपरिक आरती है। सैकड़ों वर्षों से धांधू भगत के परिजन इस आरती को करते आ रहे हैं। इस आरती में आटे से बने दीपक का इस्तेमाल किया जाता है। धांधू भगत के परिजन सफेद सूती कपड़े को चारों तरफ से पकड़ लेते हैं। उसके बाद दीपक की तेज लौ को कपड़े के नीचे से इस तरह घुमाया जाता है कि ज्योति आर पार दिखे। लेकिन फिर भी इस लौ से चादर नहीं जलती। इस अनूठी आरती का नजारा देखने के लिए भक्त दूर दूर से मंदिर में आते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में मांगी गई मुराद जरूर पूरी होती है।
Published on:
21 Mar 2018 11:54 am
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