
नंद गांव में मच रही होली की धूम
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा. सोमवार को लाडली की सखियां भगवान श्री कृष्ण के धाम होली का आमंत्रण लेकर पहुंची। आमंत्रण लेकर पहुंची सखियों का नंद गांव वासियों ने एक अलग ही अंदाज में स्वागत किया। वही लाडली की सखियों को नंद गांव वासियों ने सम्मानित करते हुए उनका आमंत्रण स्वीकार किया। वही नंद गांव स्थित नंद मंदिर पर होली के रस में पूरा वातावरण नजर आया।
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बृज में मची है होली की धूम
बृज में चहुंओर होली की धूम मची हुई है। मंदिरों में होली का रंग और गुलाल उड़ने लगा है। होली के रसिया सुनाई दे रहे हैं। उधर, नंद भवन और श्रीजी महल में होली के निमंत्रण के लिए तैयारियां हो रही हैं। नंदगांव, बरसाना समेत विश्व भर के कृष्ण भक्त निमंत्रण की प्रतीक्षा में बैठे हैं। नंद भवन और श्रीजी महल में समाज गायन का दौर चल रहा है। सेवायतों द्वारा ठाकुर जी को अबीर गुलाल से होली खिलाकर लाड़ लड़ाया जा रहा है। 22 मार्च को राधारानी की लट्ठमार होली का निमंत्रण लेकर नंद भवन पहुँची। सखी श्रीजी महल से मिला कमोरी में निमंत्रण का गुलाल सेवायतों को सौंपा। लाडली जी का भेजा संदेश सुनाते हुए सखियां कान्हा से निवेदन किया कि समस्त सखाओं के साथ बरसाना लट्ठमार होली के लिए आमंत्रित हैं। सेवायत लाडली जी की भेजी गुलाल की कमोरी हांडी को कन्हैया के श्री चरणों में रख। निमंत्रण दिया सखियों का भव्य स्वागत सत्कार किया गया। निमंत्रण के बाद नवमी को बरसाना में लट्ठमार होली का आयोजन होता है। अगले दिन बरसाना के ग्वाल फगुआ मांगने नंद भवन पहुंचते हैं।
नन्दगाँव कौ पाँडे ब्रज बरसाने आयौ ।
भरि होरी के बीच सजन समध्याने धायौ ॥
पाँड़े जू के पायनि कों हँसि शीश नवायौ ।
अति उदार वृषभानु राय सन्मान करायौ ॥
पाँय धुवाय अन्हवाई प्रथम भोजन करवायौ ।
भानु भवन भई भीर फाग कौ खेल मचायौ ॥
समध्याने की गारी सुनत श्रवण सुख पायौ ।
धाई आई और सखी जिनि सोंधो नायौ ॥
शीशी सर ते ढोरी फुलेल अंग झलकायौ ।
हनुमान की प्रतिमा मानौ तेल चढायौ ॥
काजर सों मुख माढ़यौ वन्दन बिन्दु बनायौ ।
कारे कर सहि चुवत मनौं चपरा चपकायौ ॥
गज गामिनि गौछनि में तकि तुकमा लपटायौ ।
देह धरें मानों फागुन ब्रज में खेलन आयौ ॥
माथे तें मोहनी मठा कौ माट ढ़ुरायौ ।
मानों काचे दूध श्याम गिरवरहि न्हवायौ ॥
लियौ लुगाइनि घेरि नरें नाना के आयौ ।
तब श्री राधा राधा कहि अपनौ बोल सुनायौ ॥
चंचल चन्द्र मुखीनि चहुँ धां तें जू दबायौ ।
अहो भानु की कुँवरी शरण हौं तेरी आयौ ॥
कोमल बानी सुनत गरौ राधा भरि आयौ ।
बाबा जू कौ दगल लली जू लै पहिरायौ ॥
कीरति पाँय लागि लागि तातौ पय प्यायौ ।
मनवांछित निधि दीनी तन तें ताप नसायौ ॥
By - निर्मल राजपूत
Published on:
22 Mar 2021 02:55 pm
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