संत प्रेमानंद जी महाराज: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक छोटे से गांव अखरी में जन्मे संत प्रेमानंद जी महाराज का जीवन शुरू से ही आध्यात्मिक आभा से भरा था। उनके माता-पिता अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के थे, जिससे उनके बालमन में भक्ति के बीज बचपन से ही अंकुरित हो गए। उनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर संन्यास का मार्ग अपना लिया। वाराणसी के गंगा तट पर तपस्या करते हुए, वे घंटों ध्यान में लीन रहते, और कभी-कभी तो केवल गंगाजल पर ही दिन गुज़ार देते थे। उनकी कठोर साधना देखकर एक संत ने कहा था कि “यह बालक कोई साधारण आत्मा नहीं है, यह 80 वर्षों तक इस धरा पर भक्तों का मार्गदर्शन करेगा।”