
Banke Bihari Ji
अक्षय तृतीया का महत्व धार्मिक स्तर पर ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक अनुभवों से भी जुड़ा हुआ है। वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इस दिन एक अद्भुत परंपरा निभाई जाती है जिसे 'चरण दर्शन' कहते हैं। वर्ष भर भगवान बांके बिहारी जी के चरण वस्त्रों से ढके रहते हैं, लेकिन अक्षय तृतीया के दिन भक्तों को ठाकुर जी के पवित्र चरणों के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। यह अवसर भक्तों के लिए अत्यंत दुर्लभ और शुभ माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन प्रारंभ किए गए किसी भी कार्य में सफलता निश्चित रहती है और इसका पुण्य फल कभी क्षीण नहीं होता। इसलिए स्वर्ण खरीदारी, गृह प्रवेश, विवाह, यज्ञ, पूजन जैसे कार्य इस दिन बिना विशेष मुहूर्त के भी किए जाते हैं। इसे 'अक्षय पुण्य' प्रदान करने वाला दिन कहा जाता है।
इस विशेष परंपरा की जड़ें स्वामी हरिदास जी की भक्ति में निहित हैं। स्वामी हरिदास जी, जो भगवान श्रीकृष्ण के महान भक्त थे, ने अपना संपूर्ण जीवन ठाकुर जी की सेवा और भजन में समर्पित कर दिया था। एक समय सेवा कार्यों के लिए धन की आवश्यकता पड़ने पर स्वामी हरिदास जी ने प्रभु से प्रार्थना की। कहते हैं कि उनकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने अपने चरणों से स्वर्ण मुद्राएं प्रकट कीं। इसके बाद जब भी आवश्यकता होती, स्वर्ण मुद्राएं भगवान के चरणों से प्राप्त हो जाती थीं। इसी कारण ठाकुर जी के चरणों को हमेशा पोशाक से ढका जाता है और केवल अक्षय तृतीया के दिन विशेष अवसर पर ही इनके दर्शन होते हैं।
स्वामी हरिदास जी के इस अनुभव ने वृंदावन के भक्तों के बीच यह विश्वास मजबूत कर दिया कि भगवान के चरणों में सभी प्रकार के सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक आनंद का स्रोत है। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि साल में सिर्फ अक्षय तृतीया को ही ठाकुर जी के चरणों का दर्शन कराया जाता है जिससे भक्तों को आशीर्वाद और अक्षय पुण्य प्राप्त हो सके।
अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। लाखों भक्त दूर-दूर से बांके बिहारी जी के चरण दर्शन के लिए आते हैं। इस दिन मंदिर में विशेष व्यवस्था की जाती है। जैसे ही ठाकुर जी के चरणों से पर्दा हटता है, भक्तजन एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ते हैं। यह दर्शन केवल कुछ क्षणों के लिए होता है, किंतु भक्तों का विश्वास है कि इन क्षणों में प्रभु के चरणों के दर्शन से उनके समस्त दुखों का अंत हो जाता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
Published on:
28 Apr 2025 09:50 pm
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