वर्ष भर के बड़े उत्सवों में से एक वैकुंठ उत्सव के अवसर पर भगवान रंगनाथ वैकुंठ द्वार से निकले।
मथुरा। आज वैकुंठ एकादशी के अवसर पर उत्तर भारत के विशालतम रंगनाथ मन्दिर में वैकुंठ उत्सव का आयोजन किया गया। वर्ष भर के बड़े उत्सवों में से एक वैकुंठ उत्सव के अवसर पर भगवान रंगनाथ वैकुंठ द्वार से निकले। मान्यता है कि वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के रहने का स्थान यानी वैकुंठ के दरवाजे खुले रहते हैं। इसलिए इस दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्त होती है। इसे धनुर्मास या मार्गाज्ही मास भी कहते हैं। वैकुंठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। केरल में इसे स्वर्ग वथिल एकादशी कहा जाता है।
वैकुंठ एकादशी पर्व पर भगवान रंगनाथ माता गोदा के साथ निज मन्दिर से निकलकर अहलवार संतों के साथ वैकुंठ द्वार पर पहुंचे, जहां मन्दिर सेवायतों द्वारा सस्वर मंत्रोचारण किया गया और फिर भगवान रंगनाथ, रामानुज स्वामी, शठ कोप स्वामी, नाथ मुनि स्वामी, मधुर कवि स्वामी व अलवार संतों की आरती की गई। करीब आधा घण्टे तक वैकुंठ द्वार पर विराजने के बाद भगवान की सवारी मन्दिर प्रांगड़ में भृमण करती हुई पौंडानाथ मन्दिर स्थित मंडप पर पहुंची। यहां हजारों भक्तों ने भगवान रंगनाथ के दर्शन किए और जयजयकार की। इस मौके पर स्थानीय निवासियों ने भक्तों को चाय, दूध आदि वितरित किया। इस दौरान रघुनाथ स्वामी, स्वामी यतिराज, स्वामी शास्वत, राजू स्वामी, दंगा स्वामी , पण्डित विजय मिश्र, अनघा श्री निवासन , माल्दा रंगाचार्य, चक्रपाणि मिश्र, राकेश दुवे, लखन पाठक, हरि, राजू जी , पंकज शर्मा, विजय शर्मा, शशांक शर्मा, पार्षद जय शर्मा, कन्हैया, तिरुपति, आनंद राव, विजय अग्रवाल, विश्वास जी , चंचल , जुगल जी आदि मौजूद रहे। भक्तों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे।