
Ram mandir
मऊ. एक तरफ देशभर में राम मंदिर को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि अयोध्या में इन दिनों आरएसएस, बीजेपी और शिवसेना में तुलसीदास की रामचरितमानस का किष्किंधा कांड चल रहा है देखना यह है कि कौन बाली कौन सुग्रीव और कौन प्रभु राम के अधिक करीब है।
उन्होंने आगे कहा कि साढ़े चार सालों का कार्यकाल बीत जाने के बावजूद भाजपा के हाथ खाली हैं। ऐसे में अपने कुकर्म पर पर्दा डालने के लिए वह जनता का ध्यान भटकाने के लिए देश में उन्मादी माहौल बना रही है। इससे देश में अराजकता का माहौल बन रहा है। संविधान के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह सा लगने लगा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सीधे-सीधे कोर्ट के न्यायाधीशों पर एक तरफा निर्णय लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
बीते दिनों दिल्ली के विज्ञान भवन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने स्वीकार किया था कि मंदिर मुद्दा उनका नहीं है। फिर आज मंदिर के लिए अपने स्वयंसेवकों का आह्वान कर उन्होंने अपना चेहरा उजागर किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मंडल कमीशन के सबसे बड़े विरोधी थे। इनके संगठन विद्यार्थी परिषद ने मंडल कमीशन का विरोध करते हुए लगभग 300 छात्र-छात्राओं को आत्मदाह करने को मजबूर किया था। नोटबंदी से पहले 28 से 32 हजार करोड़ की भारतीय जनता पार्टी ने खरीद फरोख्त की थी। वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सहकारी बैंक में नोटबंदी के पहले 650 करोड़ रुपये जमा किए गए, जिसका आज तक खुलासा नहीं किया जा सका।
बोफोर्स घोटाले से बड़ा राफेल घोटाला हुआ है, जिसमें प्रधानमंत्री की संलिप्तता है. इन्हीं मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए मंदिर का मुद्दा उठाया गया, जो भाजपा का असफल प्रयास साबित होगा. इनके चेहरे को जनता पहचान चुकी है। वहीं महागठबंधन में प्रधानमंत्री कौन बनेगा के सवाल पर उन्होंने कहा कि मौका मिलने दीजिए, 24 घंटे में प्रधानमंत्री तय कर देंगे। भाजपा पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पिछले तीन माह से सभी संवैधानिक संस्थाओं सीबीआई, आरबीआई, इलेक्शन कमिशन, न्यायालय इत्यादि पर सरकार दबाव बनाने का कार्य कर रही है। कहीं न कहीं संविधान के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया जा रहा है।
Updated on:
26 Nov 2018 03:51 pm
Published on:
26 Nov 2018 02:58 pm
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