Ghosi By-Election : घोसी उपचुनाव की काउंटिंग पूरी हो चुकी है। सपा प्रत्याशी ने बड़े अंतर से भाजपा प्रत्याशी को हराकर सदन का रास्ता तय किया है। इस दौरान घोसी में कई उम्मीदवार NOTA से हार गए। आखिर क्या वजह रही कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को सत्ताधारी दल और अन्य दलों के दिग्गज नहीं पसंद आए और उन्होंने NOTA दबाया, जानिए सब कुछ...
Ghosi By-Election : घोसी उपचुनाव के नतीजे बहुत चौकाने वाले रहे कुछ पार्टियों के लिए तो कई प्रत्याशियों के लिए भी, क्योंकि कुछ प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्हे NOTA से भी कम वोट मिले हैं। ऐसे में उन्हें आत्ममंथन की जरूरत है। वहीं इतने दिग्गजों के खड़े होने और पूरे देश की निगाहें होने के बावजूद लोगों ने किसी को भी नहीं सराहा और NOTA दबा दिया और किसी भी प्रत्याशी को इस लायक नहीं समझा की वो उसका प्रतिनिधित्व कर सके। इस उपचुनाव में खड़े 10 प्रत्याशियों में से 6 प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्हे NOTA ने हरा दिया।
जनता हुई जागरूक
राजनीतिक मामलों के एक्सपर्ट अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि NOTA घोसी उपचुनाव में इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि चुनाव अब आसान नहीं है। जनता जागरूक हो चुकी है। वो मतदान के दिन घर में नहीं बैठेगी बल्कि मतदान केंद्र पर आएगी और फिर NOTA का बटन दबाएगी क्योंकि उसे एक अवसर मिला है। पहले लोग मतदान को छुट्टी मानते थे पर घोसी उपचुनाव में 1725 वोट NOTA पर पड़े जो आने वाले चुनाव के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।
मतदाता संतुष्ट न होने पर दबाता है NOTA
अभिषेक त्रिपाठी ने ptarika.com से बात करते हुए कहा कि NOTA का इस्तेमाल सीधे तौर पर यह दर्शाता है कि जनता संतुष्ट नहीं है। न सत्तारूढ़ दल के कार्यों से, या अन्य दलों के पूर्व के कार्यों से, प्रत्याशियों से। संतुष्ट न होने की वजह से ही ज्यादातर नोटा का इस्तेमाल होता है। इसमें पार्टियों के लिए सीख भी होती है कि कैंडिडेट ऐसा चुने जिसे सभी लोग समझे और पसंद करें।
ये प्रत्याशी हारे, जीता NOTA
घोसी उपचुनाव में निर्दल उम्मीदवार विनय कुमार को कुल 1406 वोट, निर्दल परविंदर प्रताप सिंह को 1223 वोट, निर्दल रमेश पांडेय 839, जनता क्रांति पार्टी (राष्ट्रवादी) के मुन्नीलाल चौहान को 606 वोट, जन राज्य पार्टी के सुनील चौहान को 541 वोट और राजकुमार चौहान को 466 मत ही मिले जबकि NOTA को 1725 वोट मिले हैं।