एसडीएम राजेश कुमार अग्रवाल ने बिना समय गंवाए अपनी पूरी राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर दबिश दी। मौके पर पहुंचकर उन्होंने खनन में लिप्त जेसीबी मशीनों को रंगेहाथ पकड़ा। जब उन्होंने घटनास्थल से एक प्रभावशाली नेता से मोबाइल पर संपर्क किया, तो उसने खुद खनन करने की बात स्वीकार कर ली। एसडीएम द्वारा परमिट मांगे जाने पर नेता ने किसी भी प्रकार की वैध अनुमति होने से इनकार कर दिया।
मऊ जिले के मधुबन तहसील में बीती रात एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई ने पूरे राजनीतिक हलके में हड़कंप मचा दिया, जब तेजतर्रार और जनहित के लिए पहचाने जाने वाले एसडीएम राजेश कुमार अग्रवाल ने अवैध खनन की सूचना पर स्वयं मौके पर पहुंचकर छापेमारी की।
सूचना मिलते ही एसडीएम राजेश कुमार अग्रवाल ने बिना समय गंवाए अपनी पूरी राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर दबिश दी। मौके पर पहुंचकर उन्होंने खनन में लिप्त जेसीबी मशीनों को रंगेहाथ पकड़ा। जब उन्होंने घटनास्थल से एक प्रभावशाली नेता से मोबाइल पर संपर्क किया, तो उसने खुद खनन करने की बात स्वीकार कर ली। एसडीएम द्वारा परमिट मांगे जाने पर नेता ने किसी भी प्रकार की वैध अनुमति होने से इनकार कर दिया।
इस पर एसडीएम ने मौके पर मौजूद थानाध्यक्ष मधुबन को आदेश दिया कि उक्त नेता के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए। इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई।
जिन नेता पर कार्रवाई हुई है, वह और कोई नहीं बल्कि मधुबन नगर पंचायत की निर्दलीय अध्यक्ष आरती मल्ल के पति और प्रतिनिधि प्रशांत मल्ल हैं, जो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं और सक्रिय राजनीति में हैं।
एसडीएम अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि उक्त नेता ने खुद स्वीकारा कि खनन उनके द्वारा कराया जा रहा था और उनके पास कोई वैध परमिट नहीं था। राजस्व और पुलिस टीम ने मौके पर अवैध खनन को देखा और उसकी पुष्टि की। उन्होंने यह भी कहा कि यदि गोरखपुर में भी पूर्व में उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं, तो उनके विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राजेश कुमार अग्रवाल इससे पहले भी अपने दमदार फैसलों और निडर रवैये के लिए चर्चा में रह चुके हैं। कुछ माह पूर्व जिले के घोसी क्षेत्र में चीनी मिल चुनाव के दौरान उन्होंने स्थानीय सपा विधायक सुधाकर सिंह और सपाईयों से सीधे सड़क पर टकराकर कानून व्यवस्था को कायम रखा था। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था और इस साहसिक कदम के लिए उन्हें जनता और अधिकारियों की सराहना भी मिली थी।
इस ताजा कार्रवाई से एक बार फिर उन्होंने यह साबित कर दिया कि कानून के आगे कोई भी बड़ा या प्रभावशाली नहीं होता। जिले में ईमानदार और निष्पक्ष प्रशासन की मिसाल बन चुके एसडीएम अग्रवाल की यह कार्रवाई अब चर्चा का विषय बनी हुई है।