
मेरठ। रविवार को नवरात्र में अष्टमी आैर नवमी में कन्याआें का दिन रहा। बेटी से ज्यादा बेटे की चाहत रखने वाले कन्या जिमाने के लिए कन्या ढूंढ़ते खूब पसीना-पसीना हुए। इस बार अष्टमी आैर नवमी एक दिन होने से लोगों की कन्या जिमाने के लिए काफी मशक्कत करते दिखे। इसलिए सुबह से ही अष्टमी या नवमी पूजन आैर कन्या जिमाने के लिए लोगों ने तैयारी शुरू कर दी थी। इसके बावजूद शहर के लोगों को कन्या जिमाने के लिए दो से तीन घंटे इंतजार करना पड़ा। इस बार की अष्टमी आैर नवमी एक दिन होने से लोगों को सबक मिला है कि बेटा-बेटी में भेदभाव करना छोड़ दें, वरना भविष्य में दुर्गा मां की पूजा भी नहीं कर पाआेगे आैर एेसे में देवी-देवताआें को भी क्या प्रसन्न कर पाआेगे। मोहल्ले वाले अपने पड़ोस में कन्या आें को ढूंढ़ते रहे, नहीं मिलने पर दूसरे मोहल्लों की कन्याआें को अपने घर में जिमाया आैर फिर अपना व्रत खोला।
मंदिरों में हुए भंडारे का आयोजन
नवरात्र समापन और अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के कारण मंदिरों में मां के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही। मेरठ के प्रमुख मंदिरों सदर स्थित काली मंदिर , जागृति विहार स्थित मंशा देवी मंदिर और शास्त्रीनगर स्थित गोल मंदिर में महिलाओं ने कन्याओं की पूजा की और उन्हें भोजन ग्रहण कराया। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा आखिरी दिन भक्तों की अपार भक्ति के प्रदर्शन से भरा रहा। महानगर के मंदिरों में सुबह से घंटियां बजने लगी। मां के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ का सिलसिला सुबह से शुरू हुआ तो वह दोपहर तक चलता रहा। हर मंदिर को अलग ढंग-अलग रूप से सजाया गया था।
Published on:
25 Mar 2018 02:19 pm
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