Electricity breakdown: पश्चिम यूपी में बिजली कटौती से बुरा हाल है। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से जुडे़ जिलों में इस समय बिजली कटौती का बुरा हाल है। बिजली कटौती के साथ ओवरलोड से ट्रांसफार्मर भी फुंक रहे हैं। इससे अधिकारियों के चेहरे पर चिंता की लकीरें हैं।
Electricity breakdown: हाय बिजली, कब आएगी बिजली, फिर चली गई बिजली...। मेरठ और पश्चिम यूपी के जिलों में हर दूसरा आदमी यह कहता मिल जाएगा। आखिर क्या करें, हर कोई बिजली कटौती से परेशान है। जहां देखो, लोग बिजली को कोसते नजर आते हैं। कोई अधिकारी से नाराजगी जाहिर कर रहा है, तो कोई कटौती कम करने की गुहार लगा रहा है। अधिकारी बिजली आने के दावों का दम भरने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन, सवाल यह उठता है कि आखिर बिजली की आंख मिचौली की मुख्य वजह है क्या। यही जानने के लिए पत्रिका ने पड़ताल की तो चौंकाने वाला सच सामने आया। बिजली के आवरलोड ने ट्रांसफार्मर का दम निकाल दिया है। जब ट्रांसफार्मर ही बेदम होेंगे तो बिजली आपूर्ति कैसे सुचारू होगी।
बुलंदशहर, सहारनपुर और मेरठ की स्थिति ज्यादा खराब
एक से 13 जून तक की रिपोर्ट में प्रदेश के सभी डिस्कामों में करीब 10330 ट्रांसफार्मर खराब होने का मामला प्रकाश में आया हैं। इसमें अकेले पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के 14 जिलों में 2478 ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं। लगभग 2.50 करोड़ रुपए की चपत पश्चिमांचल डिस्काम को लगी। सबसे अधिक बुलंदशहर, सहारनपुर, मेरठ, बिजनौर, बागपत और मुजफ्फरनगर में ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं। इस मामले में कुछ हद तक शामली, गाजियाबाद जिले की स्थिति अन्य जिलों से ठीक है। बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर खराब होने से मेरठ लेकर लखनऊ तक बिजली अफसरों की चिंता बढ़ गई है। ट्रांसफार्मर की सुरक्षित रखने के लिए उनकी निगरानी बढ़ा दी गई है।
ओवरलोड कम करने क्षमता वृद्धि बढ़ाने सहित अन्य उपाए भी किए जा रहे हैं। बिजली डिमांड में बेतहाशा वृद्धि गर्मी ने प्रदेश में बिजली की डिमांड लगभग 27000 मेगावाट पहुंच गई है। इसमें अकेले पश्चिमांचल डिस्काम की बिजली डिमांड लगभग 9000 मेगावाट है। मेरठ जिले की बात करें तो 950 मेगावाट डिमांड है। सामान्य दिनों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना बिजली की डिमांड अधिक है। बिजली मांग बढ़ने से ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ रहा है।
एक से 13 जून तक जिलों में इतने ट्रांसफार्मर खराब
जिन जिलों में 13 दिनों में ट्रांसफार्मर खराब हुए उनमें सहारनपुर में 311 ट्रांसफार्मर, बुलंदशहर 297 ट्रांसफार्मर, बिजनौर में 290 ट्रांसफार्मर, मेरठ में 268 ट्रांसफार्मर, बागपत में 195 ट्रांसफार्मर, मुजफ्फरनगर में 192 ट्रांसफार्मर, शामली में 97 ट्रांसफार्मर, गाजियाबाद में 77 ट्रांसफार्मर, गौतमबुद्वनगर में 130 ट्रांसफार्मर, हापुड़ में 102 ट्रांसफार्मर, मुरादाबाद में 118 ट्रांसफार्मर, संभल में 139 ट्रांसफार्मर, रामपुर में 112 ट्रांसफार्मर और अमरोहा में 150 पुराने ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं।
पश्चिमांचल डिस्काम में 6,49,008 ट्रांसफार्मरों से 14 जिलों में बिजली की सप्लाई
पश्चिमांचल डिस्काम में 6,49,008 ट्रांसफार्मरों से 14 जिलों में बिजली की सप्लाई होती है। इनमें 4,00,974 वितरण ट्रांसफार्मर 25 केवीए क्षमता के हैं। 1183 ट्रांसफार्मरों 25 केवीए और 63 केवीए की क्षमता हैं। 3150 ट्रांसफार्मरों की क्षमतावृद्धि का है प्रस्ताव।
इस बारे में अधीक्षण अभियंता राजेंद्र बहादुर का कहना है कि व्यवस्था और बिजली के उपकरण तो वहीं पुराने हैं। लेकिन उन पर लोड अधिक बढ़ गया है। जिस कारण ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं। मोबाइल ट्रांसफार्मर के जरिए वैकल्पिक आपूर्ति की व्यवस्था बनाई जाती है। धीरे-धीरे पुराने ट्रांसफार्मर को बदलने की भी प्रक्रिया जारी है।