यह भी पढ़ेंः र्इद आैर फीफा वर्ल्ड कप पर बीएसएनएल ने दिए अपने ग्राहकों को ये खास आफर एसटीएफ ने की लापरवाही जानकारों की मानें तो इस पूरे मामले में एसटीएफ की अब तक की कार्रवाई में काफी खामियां और लापरवाही उजागर हुई हैं। बीती 17 मार्च को जब एसटीएफ ने इस मामले में कार्रवाई की थी, उस दौरान चार लोगों कपिल, संदीप, पवन और कविराज को गिरफ्तार किया था। इस पूरे कांड का सूत्रधार कविराज और विवि का पूर्व कर्मचारी सीपी सिंह को बताया जा रहा था। ये लोग एमबीबीएस की कापियों को बदलने का काम करते थे। परीक्षाएं होने के बाद विश्वविद्यालय की कापियों को बदला जाता था, बदली हुई कापियां प्रोफेसरों द्वारा लिखी जाती थी। सीपी सिंह विश्वविद्यालय का रिटायर्ड कर्मचारी है और इसके बाद भी विवि उसकी सेवाएं ले रहा था। वह उत्तरपुस्तिका विभाग का इंचार्ज था। बताते हैं कि सीपी सिंह की शह पर ही कोरी कापियां बाहर निकाली जाती थी और उनको लिखवाकर बदल लिया जाता था। एसटीएफ तब से ही सीपी सिंह के पीछे पड़ी हुई थी, लेकिन उसने चकमा देकर एसीजेएम 10 की अदालत में सरेंडर कर दिया।