scriptChaitra Navratri 2018: इस सदी में पहली बार बन रहा यह योग, लेना चाहते हैं पूरा लाभ तो यह है पूजा विधि | Chaitra navratari 2018: Know method of Maa durga worship in navratri | Patrika News

Chaitra Navratri 2018: इस सदी में पहली बार बन रहा यह योग, लेना चाहते हैं पूरा लाभ तो यह है पूजा विधि

locationमेरठPublished: Mar 17, 2018 02:45:42 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

इस बार खास है यह नवरात्रि क्योंकि पालकी पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा।

Navratri
मेरठ। नवरात्रि का प्रारंभ इस बार रविवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि पर उत्तराभाद्र नक्षत्र में उस समय हो रहा है जब चंद्रमा मीन राशि पर होगा तथा शुक्ल योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग व राजयोग भी त्रियोग के रूप में मंगलकारी प्रभाव दे रहे होंगे। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार मां दुर्गा इस बार पालकी पर सवार होकर आ रही हैं। यह मंगलकारी दृश्य योगों को शक्तिशाली बना रहा है। जो इस सदी में पहली बार घटित हो रहा है।
नवरात्र में नवग्रह देंगे अच्छे प्रभाव
इस प्रकार के योग बड़ी मात्रा में सौम्य ऊर्जा व शक्ति तो प्रदान करते ही हैं साथ ही नवदुर्गा तथा दस ग्रहों की शक्तिशाली कृपा भी प्राप्त कराने में सफल होते हैं। नवरात्र में ग्रहों का राजा सूर्य जिसके चारों ओर सभी ग्रह परिक्रमा लगाते रहते हैं। अपनी मूल दिशा पूर्व से ही उदित होते हैं। ऐसे में नवरात्रि, नवग्रह शांति के लिए अति विशेष हो जाते हैं। क्योंकि जब ग्रहराज सूर्य अपनी मूल स्थिति में हो तो उनके अधीनस्थ ग्रहों का भी प्रभावी होना मुश्किल नहीं रह जाता। इस कारण नवग्रहों को अनुकूल कराने के लिए यंत्र के समक्ष नवग्रहों का जाप नवरात्रों में विशेष प्रभावी हो जाता है।
ऐसे करें नवरात्र का प्रारंभ
पूजा स्थल के ऊपर झंडा व दूध, शहद, बादाम, काजू का भोग प्रसाद चावलों के प्रयोग सहित करना रात्रि में समाप्त हुए पंचकों का कोई कुप्रभाव नहीं होने देगा। कलश स्थापना पर कलश के मुख में पीपल के पत्ते भी इन नवरात्रों में रखना जीवन में सुख व सकारात्मक प्रभावों को मुख्य रूप से बढ़ाने के योग बनाएगा।
कैसे करें कलश स्थापना
कलश स्थापना का समय मीन लग्न मुहुर्त में प्रात: 6.31 बजे से 7.47 बजे तक। अमृत मुहूर्त में प्रातः 9.05 से 11.55 तक। अभिजीत योग मुहूर्त में दोपहर 12.05 से 12.47 बजे तक। प्रयास करें कि केवल मीन, लाभ, अमृत और अभिजित योग में ही कलश की स्थापना करें। रात्रि में कभी भी कलश की स्थापना न करें। घर के ईशान कोण या पूर्व दिशा में स्थित कमरे को शुद्ध करके एक स्थान पर मिट्टी रखे और उसमें जौ बो दें। फिर शुभ मुहूर्त में कला में जल भरकर मिट्टी पर स्थापित करें।
Kalash poojan
यह है पूजा विधि
कलश के ऊपर रोली से ऊं व स्वास्तिक बनाने से पूर्व कलश के मुख पर शुभ कलावा बांधें। जल में सतोगुणी हल्दी की तीन गांठें और 12 रेशे केसर के साथ अन्य जड़ी बूटियां व पंच रत्न चांदी अथवा तांबे इत्यादि के सिक्के के साथ गंगा जल, लौंग के साथ गंगाजल से कलश को पूरी तरह से भर दें। मुख पर पंच पल्लव अर्थात पीपल, बरगद, गुल्लर व पाकर के पत्ते जो पंच तत्वों का प्रतीक हैं, इस प्रकार रखें कि डंडी पानी में भीगी रहे तथा पत्ते बाहर रहें। नौ दिन अखंड दीप, अखण्ड ज्योति सभी प्रकार की अमंगलकारी ऊर्जाओं को नष्ट करने की क्षमता रखती है।
कलश स्थापना के समय रखें ध्यान
कलश स्थापना के समय यह ध्यान रखे कि जहां पर देवी दुर्गा की स्थापना हुई है उसके ठीक आगे स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा के बायी तरफ श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें तथा प्रथम गणेश पूजा उपरांत वरूण देव, विष्णु जी, शिव जी, सूर्य नवग्रहों को भी पूजित करें।
मंदिरों में तैयारियां जोरों पर
महानगर के मंदिरों में नवरात्र के मौके पर सजावट का काम जोरों पर है। देवी के सभी मंदिरों में सजावट का काम चल रहा है। इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन होने के कारण नवरात्र आठ दिन के हैं।
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