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PDP-BJP गठबंधन टूटने पर कांग्रेसी नेता बोले, 2019 की जवाबदेही से बचने के लिए भाजपा ने उठाया घातक कदम

कहा- केंद्र सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए ने पीडीपी से भाजपा ने समर्थन लिया वापस

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मेरठ

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Iftekhar Ahmed

Jun 19, 2018

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PDP-BJP गठबंधन टूटने पर कांग्रेसी नेता बोले, 2019 की जवाबदेही से बचने के लिए भाजपा ने उठाया घातक कदम

मेरठ. जम्मू-कश्मीर में तीन साल से चल रही PDP-BJP गठबंधन सरकार से भाजपा के समर्थन वापस लेने को कांग्रेस ने भाजपा सरकार की कश्मीर में नाकामी और 2019 लोकसभा चुनाव में जनता की जवाबदेही से बचने के लिए उठाया गया कदम करार दिया। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और वरिष्ठ नेता डॉ. संजीव अग्रवाल ने कहा कि काश्मीर में भाजपा और पीडीपी की जोड़ी बेमेल थी। सरकार वहां पर खुलकर काम नहीं कर पा रही थी। दोनों ही दल के नेता जम्मू-काश्मीर में एक दूसरे की टाग खींचने का काम कर रहे थे। वैसे भी काश्मीर में केंद्र सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है। अपनी नाकामी को छिपाने के लिए केंद्र सरकार ने पीडीपी से समर्थन वापस लिया है। उन्होंने कहा कि जब भाजपा की सरकार बनी थी दो मुख्य मुद्दे सुलझाने का वादा किया गया था। पहला राम मंदिर और दूसरा जम्मू-काश्मीर समस्या। लेकिन सरकार अपने चार साल पूरे करने के बाद भी दोनों मुद्दों को नहीं सुलझा पाई। उन्होंने कहा कि भाजपा के राज में काश्मीर के हालात और अधिक गंभीर हो गए हैं।

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भाजपा ने समर्थन वापस वापसी की ये बताई वजह
तीन साल तक पीडीपी को समर्थन देने के बाद अचानक से भाजपा ने जम्मू-कश्मीर की पीडीपी नीत सरकार से समर्थन वापसी की मंगलवार को घोषणा कर दी। इसका कारण भाजपा प्रदेश में महबूबा सरकार के साथ काम करने में नाकामी को बता रही है। अब यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि पीडीपी में सरकार के गिरने के बाद राज्यपाल शासन लग जाएगा। यानी अब बीजेपी के हाथ में प्रदेश पूरी तरह से होगा। इसके पीछे घाटी में बढ़ती आतंकवाद की घटनाओं को भी बताया जा रहा है। बीजेपी प्रवक्ता राममाधव ने इसकी घोषणा भी कर दी है। केंद्र का आरोप है कि जम्मू और लद्दाख के विकास में बीजेपी के मंत्रियों को अड़चने आ रही थी। कई विभागों में काम के लिहाज से जम्मू और लद्दाख की जनता के साथ भेदभाव महसूस किया जा रहा था। भाजपा का आरोप है कि देश की अखंडता और सुरक्षा के व्यापक हितों को देखते हुए कश्मीर को देश का अखंड हिस्सा मानते हुए यह निर्णय लिया है। गौरतलब है कि तीन साल पहले यह सरकार बनी थी, उस समय खंडित जनादेश था। जम्मू इलाके में बीजेपी को 25 सीटें मिली थी तो कश्मीर घाटी में ज्यादातर सीटें पीडीपी को 28 सीटें मिली थी। चार महीने की कवायद के बाद दोनों दलों ने एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाकर सरकार बनाया था, जो अब यह टूट चुका है।