मिमहेंस अस्पताल में हुए सेमिनार में डा. अरुण शर्मा ने बताए उपाय
कहा- शुरूआत के चार घंटे ब्रेन स्ट्रोक के मरीज के लिए कीमती
VIDEO: देश में ब्रेन स्ट्रोक से हर मिनट में हो रही एक मरीज की मौत
मेरठ। रविवार को गढ़ रोड स्थित मिमहेंस अस्पताल में स्ट्रोक और पक्षाघात पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें देश के अन्य प्रांतों की करीब 100 प्रख्यात चिकित्सकों ने भाग लिया। इस दौरान डा. अरूण शर्मा ने बताया कि पक्षाघात विश्व में दूसरे नंबर पर मौत का कारण है। अगर मरीज पक्षाघात के बाद जल्दी अस्पताल पहुंच जाए तो टीपीए इंजेक्शन के द्वारा पक्षाघात से होने वाले नुकसान से बचाव हो सकता है। उन्होंने बताया कि पक्षाघात के लक्षण दिखते ही शुरूआती 4 घंटे मरीज के लिए बड़े महत्वपूर्ण होते हैं, इस दौरान जल्द ही मरीज के बचाव के लिए कठोर कदम नहीं उठाए गए तो ब्रेन स्ट्रोक मरीज को हमेशा के लिए अपाहिज बना सकता है। सेमिनार में डा. वीरेन्द्र खोखर ने बताया कि स्ट्रोक में मुख्य भूमिका फिजियोथैरिपिस्ट की होती हैं मरीज को फिर से पुनर्वास में लाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पक्षाघात से मरीज के एक साइड के हाथ, पैर काम करना बंद कर देते हैं तो हमें दिमाग के उस भाग को चलाने के लिए ट्रेंड करना पड़ता है। अगर मरीज में खड़े होने की क्षमता आ जाती है तो जितना ज्यादा हो सके उसे चलाने की कोशिश करनी चाहिए और पक्षाघात वाले भाग से ज्यादा काम लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि मरीज का आत्मविश्वास व फिजियोथैरेपी आपके पुनर्वास के प्रोसेस को तेज कर देगा। डा. विश्वास ने सभी बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में बताया और प्रैक्टिकल भी कराया। सेमिनार में डा. अर्चना शर्मा, डा. अंशुमान शर्मा, कर्नल डीवी सिंह, जितेन्द्र शर्मा, राकेश शर्मा का विशेष योगदान रहा।