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गौरतलब है कि पिछले दो सप्ताह से जनपद में पशुओं की जांच के लिए हिसार केंद्र से आई डॉक्टरों की टीम घूम रही है। टीम द्वारा ग्लेडर्स की बीमारी को लेकर खतरे की आशंका जतायी गयी है, जिसको लेकर कई बार सैंपल लेकर टीम द्वारा भेजा गया। जिला पशुचिकित्साधिकारी राजपाल सिंह का कहना है कि बागपत में कई बार घोड़ों के सेंपल लिये जा चुके हैं और अब भी सैंपल लिये जा रहे हैं। अब तक जनपद में आठ घोडों में ग्लेडर्स की बीमारी की पुष्टि हो चुकी है। इसके बाद जनपद को इस बीमारी को लेकर अलर्ट पर रखा गया है। इस कड़ी में शनिवार को सात और घोडों को इंजक्शन लेकर मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद मशीनों से गहरा गढ्ढा खोदकर उनको दबाया गया। घोड़ा मालिकों को 25 -25 हजार रूपए का मुआवजा भी दिया गया हैं, लेकिन बिमारी के बढ़ते प्रकोप को लेकर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अवगत भी कराया गया है।
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घोड़ों की खरीद-फरोख्त पर भी लगी रोक
डीएम की ओर से पहले ही घोड़ों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगायी जा चुकी हैं। कंट्रौल एरिया भी घोषित किया गया है। डाक्टरों की टीम अभी भी सैंपल लेने में लगी हुई है। 102 और घोडों के सैंपल लिए गए हैं। जिनको जांच के लिए भेजा गया है। डीप्टी सीवीओ डॉक्टर लोकेश अग्रवाल का कहना है ग्लैडर्स की बिमारी से इंसानों को खतरा बढ़ता जा रहा है, जिसको देखते हुए यह कदम उठाया जाना बेहत जरूरी है। कानून को ध्यान में रखते हुए पशु चिकित्सा विभाग को इस रोग से पीड़ित घोड़ों को मारने के निर्देश दिए गए हैं। अगर और घोड़ों में इस बिमारी की पुष्टि होती है तो उनको भी मौत दी जाएगी।
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ऐसे होती ग्लैंडर्स बीमारी
ग्लैंडर्स पशुओं की एक बीमारी है, जो मनुष्यों में संक्रमण के द्वारा प्रवेश कर जाती है। यह गंभीर संक्रामक बीमारी है, जिसमें पूरे शरीर पर अगणित दानेदार पीबयुक्त फोड़े (फुंसियाँ) निकल आते हैं। इस रोग को उत्पन्न करनेवाला ‘मैलिओमाइसीज़ मैलाई’ (Malleomycesmallei) नामक एक जीवाणु है, जो ऑक्सीजन में जीवित रहने वाला (aerobic), गतिहीन, बीजांड न बनानेवाला (non-sporlulating), ग्राम ऋण (gram negative) है।