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Mother’s Day 2018: बड़ी बहन ने मां की भूमिका में बिट्टू को बना दिया दुनिया का स्टार क्रिकेटर

बड़े से बड़ा खिलाड़ी आज इस क्रिकेटर के सामने नतमस्तक, हर अहम फैसले में बहन से लेता है राय  

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मेरठ। दुनिया का बड़े से बड़ा बल्लेबाज आज उसकी गेंदबाजी के सामने लड़खड़ा जाता है। शुरुआती हो या डेथ आेवर्स टीम इंडिया का यह गेंदबाज अब 'की बाॅलर' की भूमिका में है। क्रिकेट के हर फार्मेट में वह सबसे फिट क्रिकेटर है, लेकिन शायद ही आप जानते होंगे कि अपने घर आैर पड़ोस में 'बिट्टू' नाम से जाना जाने वाले इस स्टार क्रिकेटर को उसकी सात साल बड़ी बहन ने उसे इस पायदान पर खड़े होने की ताकत दी। एक बहन की भूमिका में तो मां की भूमिका में भी। स्टार क्रिकेटर बनने के बाद भी बिट्टू के सारे अहम फैसले उसकी बहन ही लेती है।

बिट्टू आज बन गया है स्विंग मास्टर

हम भुवनेश्वर कुमार की बात कर रहे हैं। भुवनेश्वर टीम इंडिया का स्विंग मास्टर है, जिसकी तारीफ दुनिया भर के दिग्गज क्रिकेटर कर रहे हैं। भुवनेश्वर कुमार की मेहनत आज जिस तरह सबके सिर चढ़कर बोल रही है, तो उसमें उनकी बड़ी बहन रेखा अघाना की मुख्य भूमिका रही। विक्टोरिया पार्क क्रिकेट एकेडमी से शुरू हुआ भुवनेश्वर का सफर अब उस मुकाम पर पहुंचा है तो रेखा की भी बहन आैर मां की तरह भी जबरदस्त मेहनत रही। मवाना रोड स्थित गंगा नगर कालोनी से भुवनेश्वर को लेकर एकेडमी तक लाना आैर फिर यहां प्रैक्टिस कराकर ले जाना बहन रेखा का रोजाना का काम था। इतना ही नहीं भुवनेश्वर की प्रोग्रेस के बारे में भी वह लगातार पूछती रहती थी। कभी-कभी तो जब भुवनेश्वर के लिए क्रिकेट किट के सामानों की जरूरत होती थी, तो बहन अपनी पोकेट मनी से उसकी सहायता करती थी।

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रेखा पर थी कर्इ जिम्मेदारी

दरअसल, भुवनेश्वर के पिता किरनपाल सिंह पुलिस विभाग में बागपत जनपद में पोस्टेड थे। उन्हें इतना समय नहीं मिल पाता था। बेटी रेखा आैर बेटे भुवनेश्वर को वह अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते थे, इसलिए 2002 में मेरठ के गंगा नगर में घर बनवाया था। भुवनेश्वर की मां इंद्रेश घर के कामों में व्यस्त रहती थी, इसलिए भुवनेश्वर की जिम्मेदारी रेखा पर थी, हालांकि मां इंद्रेश भी भुवनेश्वर को प्रेरित करती रही। घर से विक्टोरिया पार्क एकेडमी छह से सात किलोमीटर दूरी पर है। तब भुवनेश्वर की सारी जिम्मेदारी बहन रेखा ने संभाल ली थी।

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इनका कहना है

भुवनेश्वर कुमार के कोच संजय रस्तोगी का कहना है कि भुवनेश्वर जब उनके पास आया था, तो काफी टेलेंटेड था, उसकी बहन हमेशा उसकी प्रोगेस पर डिस्कस करती थी आैर भुवनेश्वर को आैर ज्यादा मेहनत के लिए कहती थी। विक्टोरिया पार्क (अब भामाशाह पार्क) ग्राउंड तैयार कराने वाले क्यूरेटर रवीन्द्र चौहान का कहना है कि भुवनेश्वर ने काफी मेहनत की है, इसमें उसे बहन से भी काफी प्रेरणा मिली।