यह भी पढ़ें-
सावधान! बाजार में बिक रही नकली अदरक, ऐसे पहचानें बता दें कि मेरठ का लाला का बाजार मावे की बड़ी मंडी है। यहां पर दूसरे जिलों को भी मावा सप्लाई किया जाता है। मजे की बात इसी मंडी में पाउडर का भी मावा तैयार कर बेचा जाता है, जिसमें चिकनाई के लिए रिफाइंड का इस्तेमाल किया जाता है। मावा बेचने के जानकारों की मानें तो आजकल इस मावे से बनी मिठाई को खाने से कोई बीमार नहीं पड़ा और न ही कभी ऐसा मावा बेचने वालों के यहां पर छापा पड़ा है।
केमिकल से बनाया जाने वाला मावा होता है हानिकारक पंडित मावा भंडार के अरविंद कुमार शर्मा जो कि करीब 40 साल से मावा कारोबार से जुड़े हैं। अरविंद कुमार ने बताया कि नकली मावा दूध के पाउडर और रिफाइंड से बनाया जाता है। इस मावे को खाने से भी कोई नुकसान नहीं होता। उन्होंने बताया कि एक नकली मावा सिथेंटिक होता है, जो कि केमिकल से बनाया जाता है, जिसमें हानिकारक तत्वों को मिलाया जाता है। यह मावा सेहत के लिए हानिकारक होता है।
ऐसे करें असली और नकली मावे की पहचान अरविंद कुमार ने असली और नकली मावे का अंतर बताते हुए कहते हैं कि जो मावा जीभ पर रखते ही दूध की मलाई जैसा स्वाद दे वह असली मावा है। इसी के साथ उन्होंने बताया कि असली मावे के भीतर चिकनाई होती है। जबकि नकली मावे के बाहर चिकनाई होती है। हाथ में मावा लेने पर उसकी गोल-गोल गोली बनाई जाए तो मावे के भीतर की चिकनाई बाहर हाथ में आ जाती है। जबकि नकली मावे की बाहर की चिकनाई होती है और नकली मावा की गोली हाथ में ही बिखर जाती है।