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चकबंदी अधिकारियों की लापरवाही पर किसान ने खाया जहर, पीएम से सीएम तक कर चुका था फरियाद

Farmer eat poison in baghpat लोगों को सुलभ और न्याय आपके द्वार के सरकारी वादों की पोल उस समय खुल गई जब चकबंदी अधिकारियों की कारगुजारी का शिकार हुए एक किसान ने जहर खा लिया। किसान चकबंदी अधिकारियों की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक से कर चुके थे। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान दिया। चारों तरफ से निराश किसान ने समस्या का समाधान नहीं होते देख पीएम और सीएम से इच्छामृत्यु की गुहार भी लगाई थी। आज किसान ने स्वयं ही हकीकत में जहर खा लिया।

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मेरठ

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Kamta Tripathi

Aug 24, 2022

चकबंदी अधिकारियों की लापरवाही पर किसान ने खाया जहर, पीएम से सीएम तक कर चुका था फरियाद

चकबंदी अधिकारियों की लापरवाही पर किसान ने खाया जहर, पीएम से सीएम तक कर चुका था फरियाद

Farmer eat poison in baghpat जिले के गांव बामनौली में चकबंदी कर्मियों की अनदेखी के चलते एक किसान ने जहर खा लिया। किसान द्वारा जहर खाने पर प्रशासन में हड़कंप मच गया। बताया जाता है कि किसान को उसका कृषि पट्टा नहीं मिला तो उसने अपने ही घर पर जहर निगलकर खुदकुशी करने का प्रयास किया। गंभीर हालत में किसान को सीएचसी पर भर्ती कराया गया। बामनौली गांव के रहने वाले महेशपाल ने 16 अगस्त को प्रधानमंत्री को शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें कहा था कि उनके पिता दिवंगत रामपाल को वर्ष 1976 में नसबंदी कराने पर सरकार ने पांच बीघा कृषि भूमि का पट्टा दिया गया था। एक साल बाद ही गांव के लोगों ने पट्टे पर कब्जा कर लिया।

वर्ष 1983 में परिवार की माली हालत देख ग्राम प्रधान रहे निरंजन सिंह ने परिवार के नाम तीन बीघा कृषि भूमि का पट्टा उन्हें आवंटित कर दिया। लेकिन कई माह बाद गांव के लोगों ने उस पर भी कब्जा कर लिया। उनके पिता ने प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी शिकायत की लेकिन समाधान नहीं हुआ। वर्ष 2008 में उनके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की मौत के बाद मामला लखनऊ में मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचा। लेकिन उसके बाद उसे न्याय नहीं मिला।

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चकबंदी विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण उनका कृषि पट्टा उन्‍हें अभी तक नहीं मिल पाया है। परेशान होकर कई दिन पहले उन्‍होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और डीएम को स्पीड पोस्ट कर अपने परिवार के साथ इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी। दो दिन पहले वह तहसील में आत्मदाह करने पहुंचे तो एसडीएम ने उसे समस्या का समाधान करने का आश्वासन देकर घर भेज दिया था। लेकिन तय समय में कुछ नहीं हुआ। लिहाजा परेशान होकर यह कदम उठा लिया। एसडीएम सुभाष सिंह का कहना है कि समस्या को लेकर उनकी चकबंदी अधिकारियों से बात हुई थी।