
गांधी जी को इस कालेज के छात्रों की झेलनी पड़ी थी नाराजगी, फिर बापू ने एेसे मनाया था इन्हें!
मेरठ। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मेरठ एेसा केंद्र था, जहां सबसे ज्यादा स्वतंत्रता सेनानी आए आैर यहां के स्थानीय नेताआें के साथ बैठकें करके ब्रिटिश राज के खिलाफ रणनीति तैयार की आैर लोगों में जोश भरा। देश के जितने भी बड़े नेता आजादी की लड़ार्इ लड़ रहे थे, वे सभी कभी न कभी मेरठ आए आैर लोगों के दिलों में जगह आैर जोश देकर वापस लौटे। इनमें महात्मा गांधी, सुभाष चंद बोस, जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री समेत अनेक स्वतंत्रता सेनानी शामिल रहे। इसकी वजह यह थी कि 1857 में देश का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम मेरठ से ही शुरू हुआ था। इसके बाद यह शहर स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य केंद्र बन गया था। महात्मा गांधी भी मेरठ में कर्इ बार आए। उन्होंने यहां जनसभाएं, बैठकें आैर लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित किया।
22 जनवरी 1920 को आए थे पहली बार
महात्मा गांधी का मेरठ से खासा लगाव रहा। वह जब भी मेरठ आए युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने प्रेरित किया। वह पहली बार मेरठ में 22 जनवरी 1920 में आए थे। सबसे पहले वह डीएन कालेज में आए थे। यहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। उन्हें देखने आैर सुनने के लिए आसपास के गांवों के लोग भी पहुंचे थे। यहां के बाद उनके शहर में कर्इ स्थानों पर कार्यक्रम थे। इनमें आखिर में वेस्ट यूपी के सबसे बड़े मेरठ कालेज में भी गए थे। यहां उन्होंने छात्र-छात्राआें को संबोधित किया था। इसी दौरान गांधी जी ने मेरठ कालेज के छात्र-छात्राआें पर एक टिप्पणी कर डाली। जब उन्होंने यह टिप्पणी की, पूरा हाॅल जैसे सन्न हो गया था। गांधी जी ने कहा था कि मेरठ कालेज के छात्र जय-जयकारों में व्यस्त रहने के अलावा कुछ नहीं करते। इससे छात्र नाराज हो गए थे। यह बात शहर के प्रकाशित होने वाले 'युग देवता महात्मा गांधी' में छपा था। इसकी टिप्पणी की काफी चर्चा रही थी। गांधी जी इस बात को समझ चुके थे कि उनकी इस टिप्पणी से छात्राें में नाराजगी है। जब 28 अक्टूबर, 1929 में दोबारा मेरठ कालेज आए तो उन्होंने मेरठ कालेज के शिक्षकों आैर छात्रों के साथ बैठक की। वह यहां के छात्रों के जोश आैर बातों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा था कि मेरठ कालेज के छात्र उदारता में अन्य कालेजों के छात्रों से आगे हैं। उनकी बातें सुनकर छात्रों में जोश भर गया। उन्होंने चंदा जुटाकर गांधी जी को चांदी की प्लेट में स्वर्ण मुद्राएं भेंट की थी। इसके बाद तो गांधी जी के साथ मेरठ कालेज के छात्र स्वतंत्रा संग्राम की लड़ार्इ में एेसे कूदे कि यहां के छात्रों का नाम इतिहास में दर्ज हो गया।
इनका कहना है...
राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्राहलय के अध्यक्ष डा. मनोज गौतम का कहना है कि गांधी जी ने युवा पीढ़ी को बहुत प्रेरित किया। वह कर्इ बार मेरठ आए छात्र-छात्राआें से देश की आजादी के लिए अहिंसा आंदोलन के लिए प्रेरित किया।
Published on:
01 Oct 2018 11:12 am
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