
Kisan Mahapanchayat: पश्चिम उत्तर प्रदेश में खेती के लिए सोना कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर की जमीन से फूटा धरती पुत्रों के आक्रोश का लावा कहीं भाजपा पर गिरा तो यह उसके लिए बड़ा नुकसानदेह साबित होगा। इस किसान महापंचायत के माध्यम से संयुक्त किसान मोर्चा ने मिशन यूपी की शुरुआत करते हुए भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। किसानों की पहली महापंचायत में उसके साथ खाप पंचायतों की ताकत भी मिल गई।
किसान पंचायतें हुई लामबंद
कृषि बिल के विरोध में सरकार के खिलाफ पश्चिम यूपी से लेकर हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की खाप पंचायतें लामबंद हो गई हैं। विपक्षी दल भले ही मैदान के बाहर सक्रिय रहकर किसानों की सेवा में सक्रिय रहे हो लेकिन उन्हें कोई विशेष तवज्जो नहीं मिली। विधानसभा चुनाव से पहले अगर किसान मोर्चा गांव-गांव में अपना संगठन खड़ा करने में कामयाब हो गया तो यह जरूर मौकापरस्त राजनीति दलों के लिए सिरदर्दी पैदा करने वाला होगा।
निशाने पर रहे पीएम, सीएम और गृहमंत्री
इस महापंचायत पर भाजपा और सरकार गंभीर नहीं दिखी लेकिन इस पर दिल्ली से लेकर लखनऊ तक की नजरें टिकी रही। मंच से भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ भी निशाने पर रहे। किसान नेताओं ने मंच से यह संदेश देने की कोशिश की, अगर कृषि कानून वापस लेने की मांग पूरी नहीं हुई, तो वे भाजपा को हराने के लिए पूरा जोर लगाएगा।
गणित लगाने में जुटे हैं विपक्षी दल
सत्तारूढ़ भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा करने वाली सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद की नजर भी महापंचायत पर थी। किसान मोर्चा की नीतियों के तहत हालांकि किसी को मंच पर जगह नहीं मिली। लेकिन ऐसा कोई इशारा भी नहीं हुआ, जिससे कोई विपक्ष दल राहत महसूस कर सकें। विपक्षी दल अपने-अपने हिसाब से गणित लगाने में जुटे हुए हैं।
BY: KP Tripathi
Published on:
06 Sept 2021 06:21 pm
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