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मायावती ने भूमिहीनों को पट्टे की जमीन दिलार्इ थी, कोर्ट से जीतने के बाद भी अफसर कब्जा नहीं दिला रहे!

भूमिहीन किसान काट रहे अफसरों के यहां चक्कर, पीड़ितों की नहीं हो रही सुनवाई

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मेरठ। भूमाफियाओं के साथ कोर्ट से सात साल की लंबी लड़ाई जीतने वाले दर्जनों से अधिक किसान आज भी अधिकारियों के सामने अपनी लड़ाई हारते हुए नजर आ रहे हैं। तहसील सरधना के अंतर्गत लगने वाले गांव निहौरी निवासी पीड़ित यशपाल, रामकिशन, ब्रह्म सिंह, हरपाल, ऋषिपाल, आनंद, शेर सिंह, रामकिशोर, जयप्रकाश, बाबू आदि किसानों ने बताया कि दो महीने पहले हाईकोर्ट ने सभी किसानों के हक में फैसला तो जरूर दे दिया, लेकिन अधिकारियों ने अब तक हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया, जिस कारण किसान अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। कुछ किसान तो जमीन मिलने की उम्मीद ही छोड़ चुके हैं तो कुछ किसान आत्महत्या करने का मन बना रहे हैं।

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चरला-निहारी में 85 किसानों को आवंटित

गौरतलब है कि 20 अक्टूबर 2002 को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लगभग 85 किसानों को चरला-निहारी में सरकारी बंजर जमीन पर पट्टे की भूमि आवंटित की थी। सब कुछ ठीक चलता रहा। खसरा खतौनी में भी किसानों के नाम उल्लेख हो गए थे, लेकिन कुछ भूमाफियाओं ने मिलीभगत करके खसरा खतौनी में निरस्त का उल्लेख दर्ज करा दिया, जबकि आज तक भी सभी किसानों के नाम खसरा खतौनी में लिखे हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन भूमाफियाओं ने इन किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए कोर्ट में केस डाल दिया था।

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2017 में कोर्ट ने सुनाया था फैसला

कोर्ट ने इस मामले में चार बार आदेश किसानों के हक में दे दिए। अंतिम बार हाईकोर्ट ने किसानों के हक में फैसला आठ दिसंबर 2017 को दे दिया था। तब से लेकर अब तक किसान अधिकारियों के यहां भूमि पर कब्जा दिलाए जाने को लेकर चक्कर काट रहे हैं। परंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आदेश को दो माह बीतने में कुछ ही दिन बाकी हैं। कुछ किसानों ने अब जमीन मिलने की आस पूरी तरह छोड़ दी है, तो कुछ अभी भी लड़ाई लड़ रहे हैं।

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नहीं मिला जमीनी हक तो आत्महत्या को होंगे मजबूर

बहुत से किसान ऐसे भी हैं जो आत्महत्या का मन बना रहे हैं, लेकिन अधिकारी भूमाफियाओं के साथ मिलकर गरीब किसानों का हक छीन रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भूमाफियाओं पर लगाम लगाने के निरंतर आदेश दे रही है। एसडीएम मवाना का कहना है कि उन्हें ऐसा कोई आदेश कोर्ट से प्राप्त नहीं हुआ जिसको आधार बनाकर इन किसानों को जमीन दिलवाई जा सके। वैसे इस पूरे मामले केा दिखवाएंगे कहां पर प्रशासन की कमी है और किसानों की बात कितनी सही है। किसानों को उनका पूरा हक दिलवाया जाएगा जिसके वह हकदार है।

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