
चीन के हांगझू में चल रहे एशियन खेल 2023 में मेरठ की बेटी इकलौता गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी ने 3,000 मीटर स्टीपल चेज में भारत के लिए रजत पदक जीता
चीन के हांगझू में चल रहे एशियन खेल में मेरठ की बेटी इकलौता गांव निवासी अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी ने 3,000 मीटर स्टीपल चेज में भारत के लिए रजत पदक जीता है। एशियाड में अंतराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी को मिली यह पदक उनके पेरिस ओलंपिक पदक की ओर बढ़ा एक कदम है। पारुल के निखरते प्रदर्शन के कारण भारत सरकार ने उन्हें टॉप सूची में शामिल किया है। मेरठ की बेटी पारुल चौधरी के पदक जीतने के बाद मेरठ में खुशी का माहौल है। मेरठ के दौराला ब्लाक के इकलौता गांव में पारुल के पदक जीतने पर ढोल बज रहा है और मिठाइयां बांटी जा रही हैं।
बचपन में चंद मिनट में पिता का खाना लेकर पहुंचती थी खेत
एशियाड में रजत पदक जीतकर पेरिस ओलंपिक को अपना लक्ष्य बनाने वाली पारुल चौधरी के पिता कृष्ण पाल का कहना है कि पारुल खेत की पगडंडियों से दौड़ लगाना शुरू करती थी तो उनके पास जाकर ही रूकती थी। कृष्ण पाल कहते हैं कि मां राजेश जब खाना बनाती तो पारुल इंतजार करती थी कि वो पिता का खाना लेकर खेत जाएगी। गांव से खाना लेकर पारुल चलती तो खेत की पगडंडियों पर सरपट भागी जाती थी। कृष्ण पाल कहते हैं उन्हें नहीं पता था कि बेटी का ये शौक एक दिन देश की शान बन जाएगा।
आज पारुल ने जब देश के लिए रजत पदक जीता है तो गांव भर में खुशिया मनाई जा रही हैं। पारुल चौधरी के सफलता की प्रेरणा उनकी बड़ी बहन प्रीति थी। वह भी 5,000 मीटर की धावक थी और राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं में पदक जीता था। पारुल बड़ी बहन के साथ ही स्टेडियम में अभ्यास के लिए आया करती थीं। पारुल ने अपनी कड़ी मेहनत कभी बंद नहीं की।
लड़कों संग दौड़ कर बढ़ी तेज रफ्तार
मेरठ में पारुल के कोच रहे गौरव त्यागी के मुताबिक शुरुआती प्रशिक्षण के दौरान पारुल अपनी प्रैक्टि्स लड़कों के साथ करती थी। जिसका लाभ पारुल चौधरी को अब मिल रहा है। हालांकि अभी पारुल को अपनी सही क्षमता का अंदाजा नहीं है। वह इससे भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। आज मंगलवार को 5,000 मीटर दौड़ में पारुल पदक जीतकर ही रुकेंगी। 3,000 मीटर में पदक के वादे और भरोसे को पारुल ने कायम रखा है।
Published on:
03 Oct 2023 02:57 pm
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