Corona Omicron Virus : कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन की रफ्तार अब देश में भी तेजी से बढ़ रही है। इसको लेकर चिकित्सकों का अध्ययन भी जारी है। महाराष्ट्र में इस वायरस के कई केस सामने आए हैं। बता दें कि दूसरा वैरिएंट (second variant) भी महाराष्ट्र में अधिक फैला था। नए वैरिएंट (new variants) को लेकर हो रहे अध्ययन में अब एक और खुलासा चिकित्सकों ने किया है।
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ . Corona Omicron Virus : कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा ख़तरा है। शुरुआती अध्ययन से पता चला है कि ओमिक्रॉन में व्यक्ति को संक्रमित करने की क्षमता ज़्यादा है और यह इम्युन सिस्टम पर भी भारी पड़ सकता है। यह कहना है कि विश्व के प्रसिद्ध हेम्टॉलाजिस्ट (hematologist)
डा0 राहुल भार्गव का। उन्होंने पत्रिका से बातचीत करते हुए बताया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है इस पर अभी अध्ययन जारी है।
आरटीपीसीआर टेस्ट से सिर्फ़ ये पता चलता है कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं, न कि वेरिएंट के बारे में पता चलता है। ऐसे में जीनोम सिक्वेंसिंग स्टडी (Genome Sequencing Study) ज़रूरी हो जाती है। लेकिन सभी संक्रमित सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजा जा सकता है। यह प्रक्रिया धीमी, जटिल और महंगी होती है।
आरटीसीआर टेस्ट से शरीर में वायरस की मौजूदगी का पता
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक और निजी लैब में किए जाने वाले ज़्यादातर टेस्ट में सार्स कोव- 2 (SARS Cove- 2) संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। लेकिन ये पता नहीं लगाया जा सकता है कि संक्रमित व्यक्ति वायरस के किस वेरिएंट से संक्रमित है। ये टेस्ट वायरस के उस हिस्से को तलाशते हैं, जिनमें ज़्यादा बदलाव नहीं होता है। वेरिएंट को म्युटेशन में अंतर के आधार पर तय किया जाता है।
ओमिक्रॉन स्पाइक प्रोटीन म्युटेशन
डा0 भार्गव का कहना है कि ओमिक्रॉन स्पाइक प्रोटीन के म्युटेशन से जुड़ा है। जो कि वायरस का एक ऐसा हिस्सा होता जो कि बार-बार बदलता है ताकि वह ख़ुद को दवाइयों और रोग-प्रतिरोध कोशिकाओं से बचा सके। इसी वजह से इसकी जाँच करना मुश्किल है। ऐसे में ज़्यादातर टेस्ट ये बताएंगे कि फलां व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हुआ है लेकिन वह ये नहीं बताएंगे कि व्यक्ति ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित है। अगर व्यक्ति ओमिक्रॉन से संक्रमित होगा तो स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र में निगेटिव मिलेगा। इस समय दुनिया भर में संक्रमण के नए मामलों में से 99 फ़ीसद मामले डेल्टा वेरिएंट से जुड़े हैं, डेल्टा वेरिएंट में ये कमी नज़र नहीं आती। थर्मो फिशर पीसीआर टेस्ट में तीनों क्षेत्रों से पॉज़िटिव संकेत मिलते हैं।