
पंजाब का कोई मुकाबला नहीं है। यह कहना है वहां के आढ़तिया व्यापारियों का। उनके अनुसार गेहूं की सरकारी खरीद राजस्थान की तुलना में काफी सुगम एवं व्यावहारिक है। श्रीगंगानगर से मात्र 15 किलोमीटर दूर गांव कल्लरखेड़ा में शुक्रवार से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है, शनिवार को अबोहर के आढ़तिया संघ के अध्यक्ष अनिल नागौरी, खरीद एजेंसी पंजाब स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लि. (पनसप) के प्रबंधक अजय खुराना, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गुणवत्ता निरीक्षक रामआसरे आदि ने खरीद व्यवस्था का जायजा लिया और दूसरे दिन ही आवक कई हजार क्विंटल पहुंचने पर संतोष जताया।
पंजाब के कल्लरखेड़ा, गुमजाल, असमानखेड़ा, पन्नीवाली, तूतवाली सहित कई गांवों के किसानों की गेहूं कम्बाइन से निकालते ही सीधा बेचने के लिए धान मंडी में लाना मजबूरी थी। अबोहर इन गांवों से 30-35 किलोमीटर दूर पड़ता है जबकि श्रीगंगानगर लगभग आधी दूर। ऐसे में काफी किसान श्रीगंगानगर की नई धान मंडी में माल ला रहे थे।
कल्लरखेड़ा में सरकारी खरीद शुरू होने से पंजाब के किसानों को सीधा लाभ होगा। एक तो खेत से ज्यादा दूर गेहूं नहीं ले जाना पड़ेगा, दूसरे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1625 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकेगा। श्रीगंगानगर में खरीद एजेंसी किसान की गिरदावरी, फोटो पहचान पत्र आदि की फोटो प्रति लेती है। ऐसे में पंजाब का गेहूं एमएसपी से नीचे दाम पर बिक रहा था। श्रीगंगानगर क्षेत्र के किसानों को यह लाभ होगा कि पंजाब से आवक घटने से मांग के अनुपात में भाव थोड़ा अधिक मिलने की उम्मीद रहेगी। मंडी में वाहनों की रेलमपेल भी कम होगी।
श्रीगंगानगर की नई धान मंडी में गेहूं का धीमा उठाव परेशानी का सबब बना हुआ है। शनिवार को लगभग 30 टै्रक्टर ट्रालियां 10 हजार कट्टों से भी कम गेहूं उठा पाई, जबकि करीब एक लाख कट्टे मंडी परिसर में भरे हुए पड़े हैं। एफसीआई से मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम तक 75.04 मैट्रिक टन गेहूं का उठाव हो चुका और मंडी में 4507.08 मैट्रिक टन गेहूं अभी उठाव के इंतजार में है। इस स्थिति के कारण किसानों का माल उतरवाने में जगह की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
Published on:
16 Apr 2017 09:10 am
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