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UP Board Exam 2020: नकल रोकने के लिए उठाया गया यह सख्त कदम, हिल भी नहीं पाएंगे Students इसमें मिलेंगी ये सुविधाएं शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ स्कूलों में अन्य सुविधाएं जैसे-पेयजल की सुविधा, खेलकूद की सामग्री, खेल का मैदान आदि भी दिए जाने का प्रावधान है। इसमें बच्चों को फीस व अन्य किसी पाठ्य सामग्री पर कोई धनराशि भी नहीं देनी है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार को लेकर 6 से 14 साल के बच्चों को प्रवेश लेकर पढ़ाई शुरू करने में दिक्कतें नहीं हैं। आरटीई एक्ट बड़े निजी स्कूलों पर भी लागू होता है, इन स्कूलों में जरूर विरोध की स्थिति है। हालांकि जो गरीब माता-पिता अपने बच्चों को छोटे-बड़े निजी स्कूलों में पढ़ाने में असमर्थ हैं, उन्हें आरटीई (RTE) से फायदा मिला है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे बच्चों की संख्या काफी है।
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Big Boss: टीवी शो बंद कराने को लेकर अन्न त्यागने की चेतावनी, पीएम मोदी से की ये मांग, देखें वीडियो बच्चों को ऐसे दिलाएं प्रवेश 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को अपने पड़ोस के स्कूलों में मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। इसमें प्रवेश के लिए बच्चे के आधार कार्ड की जरूरत पड़ती है। अगर यह नहीं है तो माता-पिता की आईडी से बच्चे को स्कूल में प्रवेश मिल जाता है। इसमें प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के लिए उन्हें कोई भी फीस, यूनिफार्म, पाठ्य-पुस्तकें, मिड-डे मील, परिवहन पर बच्चे को कोई भी धनराशि नहीं देनी होगी। सरकार ऐसे बच्चों को निशुल्क स्कूलिंग उपलब्ध कराएगी, जब तक कि उसकी प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं हो जाती।
इनका कहना है बीएसए सतेंद्र कुमार का कहना है कि आरटीई के अंतर्गत परिषदीय विद्यालयों में शत-प्रतिशत बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान देकर प्रवेश दिलाए गए हैं। विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ी है।
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