scriptSt. John’s Church: 200 साल पुराना चर्च इसलिए है सबसे अलग, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़े हैं अहम तथ्य | saint johns church meerut 200 years oldest in north india | Patrika News

St. John’s Church: 200 साल पुराना चर्च इसलिए है सबसे अलग, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़े हैं अहम तथ्य

locationमेरठPublished: Dec 18, 2018 01:40:00 am

Submitted by:

sanjay sharma

उत्तर भारत के सबसे पुराने इस चर्च में दस हजार लोग एक साथ कर सकते हैं प्रेयर
 

meerut

St. John’s Church: 200 साल पुराना चर्च इसलिए है सबसे अलग, देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़े हैं अहम तथ्य

मेरठ। मेरठ कैंट क्षेत्र में ‘सेंट जॉन द बैपटिस्ट’ (St. John the Baptist) या ‘सेंट जॉन्स चर्च’ (St. John’s Church) अपनी 200वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इस चर्च में प्रवेश करने पर इंग्लैंड के बड़े चर्च में होने का अहसास होता है। ब्रिटिश सेना के पादरी रेवरेंड हेनरी फिशर ने ब्रिटिश अफसरों व सिपाहियों के लिए इस चर्च का निर्माण 1819 में शुरू कराया था, जो 1824 बनकर तैयार हुआ। उत्तर भारत के इस सबसे पुराने चर्च में करीब दस हजार लोग एक साथ प्रेयर कर सकते हैं। चर्च के परिसर में प्राचीन सिमेट्री (St. John’s Church cemetery) है, जो एेतिहासिक है, क्योंकि 10 मर्इ 1857 में भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मारे गए ब्रिटिश सैन्य अफसरों व सिपाहियों का यहीं पर अंतिम संस्कार किया गया। आज भी विदेशी अपने पूर्वज की याद में यहां आते हैं आैर उनके लिए प्रेयर करते हैं।
यह भी पढ़ेंः नए साल में कलेंडर आैर डायरी जेब पर पड़ने जा रहे हैं भारी, जानिए इसके पीछे की बड़ी वजह, देखें वीडियो

meerut
एेसा है सेंट जोंस चर्च
St. John’s Church उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च है। इसके निर्माण में संगमरमर, पीतल, लकड़ी आैर कांच का इस्तेमाल किया गया। यह पूरी तरह पैरिश चर्च वास्तुकला शैली में बनाया गया है। चर्च परिसर में सुंदर लाॅन, हरियाली आैर शांत वातावरण से देश के अन्य चर्च से अलग स्थान रखता है। र्इस्टर, क्रिसमस, नए साल पर यहां विशेष प्रार्थना सभा होती है, इसमें क्रिश्चियंस बड़ी संख्या में हिस्सा लेते हैं। क्रिसमस के मौके पर तो पैरिश क्लब यहां अनेक कार्यक्रम आयोजित करता है, इसमें मेरठ ही नहीं आसपास के इलाकों से भी लोग सम्मिलित होते हैं।
यह भी देखेंः VIDEO: किसानों ने इस बार खेती में जैविक खाद पर जताया ज्यादा भरोसा

meerut
सेंट जोंस सिमेट्री है एेतिहासिक

सेंट जोंस सिमेट्री (St. John’s Church cemetery) 23 एकड़ में फैली है, इसमें कितनी क्रब हैं। इसकी कोर्इ गिनती नहीं है। सबसे पुरानी क्रब 1810 की है, जबकि 1857 गदर में मारे गए ब्रिटिश अफसरों की कब्रें हैं। अमेरिका में जन्मे बॉस्टन के लेखक डेविड ओचटर्लोनी की 18 जुलार्इ 1825 को यहां प्रवास के दौरान मृत्यु हो गर्इ थी। उनका भी यहां इसार्इ धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया गया। पहले यहां किसी को भी आने-जाने की छूट थी, लेकिन यहां कब्जे की शिकायतों के बाद आने लगी तो यहां लोगों के सीधे प्रवेश पर रोक लगा दी गर्इ। सेंट जोंस सिमेट्री पर तैनात रोबिन सिंह का कहना है कि बिना परमिशन अंदर जाना प्रतिबंधित कर दिया है। यहां कितनी कब्रें हैं, उन्हें भी नहीं पता।
देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अहम तथ्य

दरअसल 10 मर्इ 1857 को रविवार था। इससे एक दिन पहले शनिवार को उन 85 भारतीय सैनिकों का कोर्ट मार्शल किया गया था। जिन्होंने चर्बीयुक्त कारतूस चलाने से मनाकर दिया था। क्योंकि उसे मुंह से खोलना पड़ता था। शनिवार को इन 85 भारतीय सैनिकों को परेड ग्राउंड से विक्टोरिया पार्क स्थित जेल तक इनके कपड़े उतारकर बड़ी बेइज्जती से पूरे शहर में घुमाकर जेल में बंद किया गया। ब्रिटिश अफसरों के आदेश पर यह सब इसलिए जानबूझकर किया गया था, ताकि शहर में कोर्इ भी ब्रिटिश राज के खिलाफ बोलने की हिमाकत न कर सके। भारतीय सैनिकों के साथ ब्रिटिश अफसरों के इस व्यवहार से लोगों में शाम से ही विद्रोह पैदा हो गया। लोगों ने अलग-अलग बैठकें की। अगले दिन रविवार को ब्रिटिश अफसर व कर्मचारी छुट्टी के दिन अपने-अपने कामों में व्यस्त थे। कुछ सेंट जोंस चर्च गए थे। इस बीच आक्रोशित लोगों ने इनके बंगलों पर हमला कर दिया। इनमें कर्नल जॉन फिनिश सबसे पहले शिकार हुए। जब अन्य ब्रिटिश अफसरों को इसका पता चला तो हड़कंप मच गया और विद्रोह को दबाने के फेर में इस गदर का शिकार हुए। इन ब्रिटिश अफसरों व कर्मचारियों का इसार्इ धर्म के अनुसार सेंट जोंस सिमेट्री में अंतिम संस्कार किया गया। तब से इनके पूर्वज इनकी कब्र पर दर्शन करने आते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो