
शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना की विधि और नवरात्र पूजन का शुभ मुहूर्त।
Shardiya Navratri 2023: इस बार शारदीय नवरात्र 2023 दिन रविवार 15अक्तूबर से प्रारम्भ हो रहे है। जिससे अश्विन शुक्ल पक्ष भी प्रारम्भ हो जायेगा। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार कलश स्थापना और शुभ मुहूर्त के अलावा दिशा बहुत महत्व होती है।
कलश स्थापना विधि
भारत ज्ञान भूषण के अनुसार अपने घर के ईशान कोण या पूर्व दिशा में स्थित कमरे को शुद्ध करके, एक स्थान पर शुद्ध मिट्टी रखें और उसमें जौ बो दें। फिर शुभ मुहूर्त में कलश में जल भर कर मिट्टी पर स्थापित करें। कलश के ऊपर रोली से ”ऊँ“ व ”स्वास्तिक“ शुभ चिन्ह बनाने से पूर्व कलश के मुख पर शुभ कलावा अवश्य बांधें तथा जल में सतोगुणी तीन हल्दी की गांठें, 12 रेशे केसर के साथ अन्य जड़ी, बूटियां व पंच रत्न चांदी अथवा तांबे इत्यादि के सिक्के के साथ गंगा जल, लौंग, इलायची, पान, सुपाड़ी, रोली, चन्दन, अक्षत, पुष्प आदि डालें और कलश को पूर्ण रूप से भर दें। मुख पर पंच पल्लव अर्थात आम, पीपल, बरगद, गुल्लर व पाकर के पत्ते जो पंच तत्वों का प्रतीक हैं इस प्रकार रखें कि डंडी पानी में भीगी रहे तथा पत्ते बाहर रहें अन्यथा पांच पत्तों युक्त आम की टहनी ही कलश के ऊपर लगायें फिर कलश के मुख के ऊपर चावल भरा कटोरा रख कर उसके ऊपर लाल कपड़े में लिपटा कच्चा नारियल इस प्रकार रखें कि नारियल का मुख आपकी ओर हो।
पूर्व दक्षिण दिशा के मध्य आग्नेय कोण में चावलों की ढ़ेरी के ऊपर दीप स्थापित करें
कलश स्थापन के बाद पूर्व दक्षिण दिशा के मध्य आग्नेय कोण में चावलों की ढ़ेरी के ऊपर दीप स्थापित करें। नौ दिन तक अखण्ड दीप, अखण्ड ज्योति सभी प्रकार की अमंगलकारी ऊर्जाओं को नष्ट करने की क्षमता रखती है तथा धूप, बत्ती पश्चिम उत्तर दिशा के मध्य वायव्य दिशा में स्थापित करें।
यह कलश जहां पर दुर्गा देवी की स्थापना हुई है उसके ठीक आगे स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा के बांयी तरफ श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करें तथा प्रथम गणेश पूजा उपरांत वरूण देव, विष्णु जी, शिव, सूर्य आदि नव ग्रहों को भी पूजित करें।
शिक्षा, वैदिक विद्याओं और कला जगत् से जुडे सभी लोगों की प्रमुख आराध्य मां सरस्वती होती है। विद्यार्थियों को भी इस दिन मां सरस्वती का पूजन अवश्य करना चाहिये। अपनी पाठ्य व अध्ययन सामग्री की भी पूजा करनी चाहिए।
विशेष -दिन छिपने के बाद कलश स्थापन निषेध व अशुभ रहता है।
नवरात्रों की पूजा में निम्न पर दें अवश्य ध्यान
- नवरात्रों में लाल रंग का प्रयोग अधिक से अधिक करें क्योंकि लाल रंग में अधिक से अधिक ऊर्जा होती है तथा शक्ति का प्रतीक है लाल रंग इसलिए लाल सुगंधित फूल विशेषतौर पर लाल गुड़हल व लाल कनैर, लाल वस्त्र, लाल रंग का आसन मां भगवती से निकटता प्रदान करता है।
अखण्ड दीपक का फल भी अखण्ड ही होता है
- नवरात्रों में मां दुर्गा के नाम ज्योति अवश्य अर्पित करें। अखण्ड दीपक का फल भी अखण्ड ही होता है। यदि दुर्गा सप्तशती इत्यादि के पाठ का न तो आपके पास समय है और न ही मन तो कुंजिका स्त्रोत अवश्य पडें।
- नवरात्रि में अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र का पाठ ”ऊॅ ऐ ह्री क्लीं चामुण्डायै विच्चै“अवश्य करना चाहिए।
- प्रातः काल प्रसाद के लिए शहद मिला दूध का भोग लगा कर ग्रहण करना शरीर और आत्मा दोनों को बल प्रदान करता है।
कलश स्थापना व नवरात्र पूजन मुहूर्त
लाभामृत काल - प्रातः 9:14 से 12:06 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 11:43 से 12:29 तक
शुभ समय - अपराह्न1:33से 2:59 तक
Published on:
14 Oct 2023 06:36 pm
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