
Kargil Vijay Diwas 2022: क्रांतिधरा मेरठ में जन्में इन छह वीर सपूतों ने लिखी थी कारगिल युद्ध की विजय गाथा
Kargil Vijay Diwas 2022 देश की एक इंच भूमि की रक्षा के लिए भारतीय सेना का जवान वो सब कुछ कर सकता है जो उसके पास करने के लिए होता है। मेरठ क्रांतिधरा में जन्में वीर सपूतों ने ऐसी अनगिनत शौर्य गाथाओं को इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया है। जिसे आज भावी पीढ़ी सुनकर जोश से भर जाती है। देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम मई 1857 से लेकर आजादी तक और आजादी के बाद विभिन्न युद्ध व आपरेशनों में मेरठ के नौजवानों का बलिदानी योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में मेरठ के जांबाज सपूत ने दुश्मन सैनिकों को छठी का दूध याद दिला दिया था। कारगिल युद्ध में मेरठ के छह जाबाजों ने अपनी शहादत देकर भारतीय सेना के जीत की पटकथा लिख दी थी।
कारगिल युद्ध को आज 23 साल हो चुके हैं। कारगिल युद्ध में सबसे पहले बलिदान होने वालों में मेजर मनोज तलवार का नाम पहले आता है। 13 जून 1999 को मेजर मनोज तलवार और सीएचएम यशवीर सिंह बलिदान हुए थे। उसके बाद 28 जून को मेरठ के लांस नायक सत्यपाल सिंह और तीन जुलाई को नायक जुबेर अहमद ने शहादत पाई थी। पांच जुलाई को ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह की शहादत हुई और इसके साथ इंजीनियरिंग कोर के सैपर सतीश कुमार ने कारगिल में अपना बलिदान देकर देश की चोटियों को सुरक्षित किया था। यशवीर सिंह को मरणोपरांत वीरचक्र और सतीश कुमार को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।
आज कारगिल विजय दिवस के मौके पर सेना की ओर से मेरठ छावनी स्थित चार्जिंग रैम डिवीजन के प्रेरणास्थल पर शहीदों को श्रद्धाजंलि अर्पित की गई। सब-एरिया कमांडर प्रेरणा स्थल पर पहुंचे और वहां पर पुष्प चढ़ाएं गए। इसी के साथ ही वीरनारियों व बलिदानियों की माताओं को सम्मानित कर उनसे मुलाकात भी की। आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव के अवसर पर आज 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (शौर्य व पराक्रम का प्रतीक) के 23 वर्ष होने पर वीर नारियों को सम्मानित किया गया।
Updated on:
26 Jul 2022 10:41 am
Published on:
26 Jul 2022 10:38 am
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