समेत पूरे पश्चिम उप्र में रालोद सपा और भाकियू ने जोरदार प्रदर्शन किया। पास हुए कृषि बिल काे किसान विराेधी बताते हुए किसानाें ने साफ कह दिया कि इस बिल काे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सड़क से लेकर संसद तक प्रदर्शन किए जाएंगे। वेस्ट के लगभग सभी जिलों में विराेधी दलों ने इस विधेयक का विराेध करते हुए जमकर नारेबाजी की।
विपक्षियों के प्रदर्शन को देखते हुए मेंरठ, सहारनपुर और गाजियाबाद में कलक्ट्रेट के चारों ओर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। बिजनाैर में पुलिस ने कांग्रेसियाें काे हिरासत में ले लिया। बावजूद इसके वेस्ट में जमकर विराेध किया गया। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए सड़कों पर आ गए। मेरठ में पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर के अलावा जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह और अन्य सपा पदाधिकारी भी प्रदर्शकारियों के साथ रहे। सभी जिलों में सुबह करीब 11 बजे विराेध प्रदर्शन और धरना प्रदर्शन का दाैर शुरू हुआ जाे दाेपहर बाद तक चला। पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के कारण युवा बेरोजगार हो चुका है। अब केंद्र सरकार कृषि बिल लागू कर रही है। कहा कि, यह बिल किसानों के विरुद्ध बनाया गया है। क्योंकि इस बिल से किसान बेहाल हो जाएगा। किसानाें को अपनी फसल का वाजिब दाम भी नहीं मिल पाएगा। आराेप लगाया कि, प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है जिसने योगी सरकार रोकने में नाकाम हो रही है। सपाइयों ने प्रदर्शन में कहा कि प्रदेश में लगातार अपराध बढ़ रहा है। अरपराध रोकने में भी प्रदेश सरकार पूरी तरह से विफल हो चुकी है। रोजाना लूट, हत्या व डकैती जैसी वारदातें सामने आ रही हैं।
सपा जिलाध्यक्ष राजपाल चौधरी ने मोदी सरकार पर जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने कहा कि इन कृषि बिलों को लाकर सरकार किसानों को ठगने का काम किया है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व चौधरी छोटूराम ने किसानों को साहूकारों के चंगुल से संघर्ष कर निकालने का काम किया, लेकिन अब सरकार जानबूझकर किसानों को फिर से कंपनियों का गुलाम बनाने का काम कर रही है। कृषि उत्पादन मंडी समाप्त कर किसानों की फसलों को औने पौने दामों पर बिकने के लिए छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोनो के कहर के बीच भाजपा सरकार आम आदमी, किसान मजदूरों की रीढ़ तोड़ने का काम कर रही है। सपा इसका पुरजोर तरीके से विरोध करेगी। खबर लिखे जाने तक सपाई धरने पर बैठे हुए थे। वहीं रालोद और भाकियू के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी धरने पर जमे हुए थे।