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बैल की मौत पर हवन यज्ञ कर किया अंतिम संस्कार और फिर इस अंदाज में मनाई तेरहवीं

बीस वर्ष से साथ रह रहे बैल को उसने परिवार की तरह समझा। हर वर्ष वह उसे ब्रज घाट गंगा जी ले जाता था।

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मेरठ

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Rahul Chauhan

Oct 07, 2018

villagers during terahavi

बैल की मौत पर हवन यज्ञ कर किया अंतिम संस्कार और फिर इस अंदाज में मनाई तेरहवीं

बागपत। मंसूरपुर गांव में बैल की मौत होने के बाद उसके मालिक ने विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया। उसके बाद हवन यज्ञ कर भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने कहा कि गांव में बैल की समाधि बनायी जाएगी। मंसूरपुर निवासी कृष्णपाल बैल-बुग्गी चलाकर अपने परिवार का पालन पोषण करता है। बीस वर्ष से लगातार वह इसी बैल का प्रयोग अपनी बुग्गी में कर रहा था, जिसे वह परिवार के सदस्य की तरह ही रखता था। दो दिन पहले बैल की अचानक मौत हो गयी, जिससे कृष्णपाल को जहां परिवार के रोजगार का साधन बना बैल जाने से दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।

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बीस वर्ष से साथ रह रहे बैल को उसने परिवार की तरह समझा। हर वर्ष वह उसे ब्रज घाट गंगा जी ले जाता था। उसका अंतिम संस्कार भी रीति रिवाज से करने की ठानी और बैल की शव यात्रा के साथ उसे दफनाया गया। इसके अलावा उसकी समाधि बनाने का ऐलान भी किया। इसके अलावा आत्मा की शान्ति के लिए यज्ञ और हवन भी कराया गया। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें गांव के लोगों ने भाग लिया। इस मौके पर भाकियू नेता धूम सिंह भगत ने कहा कि जानवर के शरीर में भी जान होती है। सिर्फ फर्क यह होता है कि जानवर बोल नहीं सकता। परिवार के साथ रहने वाले जानवर भी परिवार का अंग होते हैं। इस मौके पर राहुल, मान सिंह, शौकेन्द्र, बलराम आदि मौजूद थे।