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100 करोड़ की सम्पत्ति, एक बेटी और पत्नी को छोड़ एक शख्स बन गया सन्यासी

100 करोड़ों की सम्पत्ति और भोग-विलास को छोड़कर वैराग्य का संकल्प लेने वाले सुमित राठौड़ शनिवार को दीक्षा प्राप्त करने के बाद मुनि सुमित बन गए।

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Chandra Prakash Chourasia

Sep 23, 2017

Jain muni Sumit Rathore

सूरत। 100 करोड़ों की सम्पत्ति और भोग-विलास को छोड़कर वैराग्य का संकल्प लेने वाले नीमच के सुमित राठौड़ शनिवार को यहां आचार्य रामलाल से दीक्षा प्राप्त करने के बाद मुनि सुमित बन गए। यहां वृंदावन पार्क में आयोजित समारोह में मुनि सुमित के रूप में नया जीवन शुरू करने से पहले उन्होंने भगवती दीक्षा ग्रहण की। हालांकि सुमित की पत्नी अनामिका राठौड़ कानूनी अड़चनों से दीक्षा नहीं ले पाई।

पढ़िए...करोड़पति से मुनी बने सुमित राठौर की पूरी कहानी

300 लोगों के सामने बने मुनि
नीमच के करोड़पति व्यापारिक घराने से ताल्लुक रखने वाले सुमित, पत्नी और परिवार के सदस्यों के साथ सुबह आचार्य रामलाल के चार्तुमास प्रवचन पांडाल में पहुंचे। आचार्य ने परम्परा अनुसार दीक्षा के लिए सुमित, उसके परिजनों और महोत्सव में शामिल होने के लिए देशभर से जुटे सैकड़ों जैन धर्मावलंबियों से अनुमति ली। साधुवेश धारण करने के बाद मंच पर पहुंचे सुमित के सिर पर हाथ रखकर मुनिवृंदों ने मंत्रों का जाप शुरू किया। इसके बाद केश लोच का कार्यक्रम हुआ। विधि-विधान से धार्मिक प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद आचार्य ने सुमित मुनि के रूप में नामकरण किया।

मासूम बच्ची के सवाल पर टली दीक्षा
राठौड़ दम्पती की पौने तीन साल की मासूम बेटी इम्या के भविष्य और उसके नैसर्गिक अधिकारों को लेकर जयपुर , भोपाल, अहमदाबाद आदि स्थानों के कई सामाजिक संगठन और कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई थी। जयपुर की रचना नाहटा की परिवाद पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सूरत के पुलिस कमिश्नर और नीमच के कलक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। दीक्षा से ठीक पहले किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए आयोजकों और सुमित के परिवार ने अनामिका की दीक्षा को टाल दिया।

मध्यरात्रि को हुआ दीक्षा कार्यक्रम में फेरबदल
साधुमार्गी जैन संघ के संयोजक इन्दरचंद वैद्य ने बताया कि कानूनी प्रावधानों के चलते कार्यक्रम में फेरबदल करना पड़ा। बीती रात साढ़े आठ बजे शहर पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा ने उनको कार्यालय पर बुलाया था। वहां मानवाधिकार आयोग, बाल सुरक्षा आयोग और समाज सुरक्षा अधिकारी आदि मौजूद थे। उन्होंने राठौड़ दम्पती की दो वर्ष दस माह की पुत्री की परवरिश का सवाल उठाया? कहा कि वे कानूनी प्रावधानों के चलते कार्यक्रम निरस्त कर दें या दोनों में से किसी एक को दीक्षा दिलवाएं। इसके बाद देर रात समाज के सभी प्रमुख पदाधिकारियों ने गुरुदेव से चर्चा की। बाद में सुमित, अनामिका और उनके परिजनों से बातचीत हुई। गहन विचार-विमर्श के बाद गुरुदेव के आदेश पर कानूनी दायरे में रहकर सुबह सिर्फ सुमित को दीक्षा दिलाने का निर्णय किया गया।

मायूस दिखी अनामिका
सुमित के दीक्षा कार्यक्रम में मौजूद अनामिका के चेहरे पर मायूसी नजर आई। वह भी पति के साथ सांसारिक जीवन का त्याग करना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। वह कार्यक्रम के दौरान लाल रंग के वस्त्रों में सुमित व परिजनों के साथ रही। परिजनों ने बताया कि अनामिका दीक्षा के निर्णय पर अड़ी हुई है, लेकिन सभी तरह की अवश्यक कानूनी बाधाओं को पूरा करने के बाद ही वह दीक्षा लेगी।

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