
1956 - b r ambedkar
देश को आजादी मिलने के बाद देश में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई। भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता डॉक्टर भीम राव अंबेडकर ने नागपुर में एक पारंपरिक समारोह में अपने 3 लाख 65 हजार समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया। भारत में आधुनिक बौद्ध आंदोलन में यह एक अहम कदम था। अंबेडकर पिछले कई सालों से इस धर्म को लेकर अध्ययन कर रहे थे और इससे वह काफी प्रभावित भी थे।
भीमराव रामजी अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता था, का जन्म मध्य प्रदेश के मऊ में 14 अप्रेल, 1891 को गरीब महार (दलित) परिवार में हुआ था। भारत की सदियों से चली आ रही जात प्रथा की खिलाफत की थी और इसी प्रथा के कारण ही अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया।
1950 में उन्होंने अपना ध्यान पूरी तरह से बौद्ध धर्म पर केंद्रित कर दिया था और सीलोन (अब श्रीलंका) में आयोजित वल्र्ड फैलोशिप ऑफ बौद्ध में हिस्सा लिया।
पूणे के पास नई बौद्ध विहारा को समर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि वह बौद्ध धर्म पर किताब लिख रहे हैं और जब वह पूरी हो जाएगी तो वह बौद्ध धर्म अपना लेंगे। 1954 में वह दो बार बर्मा (अब म्यांमार) गए।
दूसरी बार वहां आयोजित तीसरी वल्र्ड फैलोशिप ऑफ बौद्ध में हिस्सा लेने गए थे। 1955 में उन्होंने बौद्ध महासभा का गठन किया। उन्होंने 1956 में 'द बुद्धा एंड हिस धम्मा' पूरी कर ली। हालांकि, यह उनके मरणोप्रांत ही छप पाई।
श्रीलंका के बौद्ध संन्यासी हम्मालावा सद्दातिस्सा से मुलाकात करने के बाद अंबेडकर ने औपचारिक रूप से अपने और समर्थकों के लिए 14 अक्टूबर, 1956 को सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया।
इस समारोह में उन्होंने अपनी पत्नी और समर्थकों के साथ पूरे विधिवत तरीके से बौद्ध धर्म को अपना लिया। इसके बाद नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित चौथे बौद्ध कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। 6 दिसंबर, 1956 को दिल्ली स्थित घर में उनका देहांत हो गया।"
Published on:
09 Aug 2017 07:32 am
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