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गुजरात दंगा: जकिया जाफरी की याचिका पर SC में अब 3 दिसंबर को होगी सुनवाई

गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था।

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गुजरात दंगा: जकिया जाफरी की याचिका पर SC में अब 3 दिसंबर को होगी सुनवाई

नई दिल्ली। गुजरात दंगों के मामले में पीएम मोदी को क्लीनचिट दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब तीन दिसंबर को सुनवाई करेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए आज का दिन निर्धारित किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की 26 नवंबर को कॉज लिस्ट से जकिया जाफरी की याचिका को डिलीट कर तीन दिसंबर को सूचीबद्ध कर दिया गया है। बता दें कि पिछले साल गुजरात हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त एसआइटी की जांच रिपोर्ट में पीएम मोदी और 59 अन्य को क्लीनचिट दिए जाने के फैसले को बरकरार रखते हुए 2002 के गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था।

सरकारी वकील ने किया था विरोध
गुजरात हाईकोर्ट ने याची को आगे की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा था। जकिया ने पांच अक्टूबर, 2017 के गुजरात हाईकोर्ट के इस फैसले को भी खारिज करने की अपील सुप्रीम कोर्ट में की है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संभवत: ऑफिस रिपोर्ट में रजिस्ट्री की ओर से गलत जानकारी दी गई है। इससे पूर्व संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जाफरी के वकील सीयू सिंह ने 27 फरवरी, 2002 और मई 2002 के बीच व्यापक साजिश के संबंध में नोटिस जारी करने की अपील की थी। वहीं गुजरात सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा था कि यह अलग मामला है और इसे अन्य आपराधिक अपीलों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। उन्होंने नोटिस जारी किए जाने की दलील का भी विरोध किया था।

एसआईटी ने दी थी क्‍लीनचिट
मार्च, 2008 में सुप्रीम कोर्ट की ही गठित एसआइटी ने विगत आठ फरवरी, 2012 को मामले की क्लोजर रिपोर्ट दायर कर पीएम मोदी और 59 अन्य लोगों को यह कहते हुए क्लीनचिट दी थी कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य कोई सुबूत नहीं हैं। 2010 में एसआइटी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी से नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी। इसके बाद नौ फरवरी, 2012 को जकिया जाफरी और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजन फॉर जस्टिस एंड पीस ने एसआइटी की रिपोर्ट को निचली मेट्रोपोलिटन अदालत में चुनौती दी थी। उन्होंने मोदी और अन्य पर दंगे के पीछे आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाने की मांग की लेकिन दिसंबर, 2013 में निचली अदालत ने एसआइटी की रिपोर्ट को सही ठहराया था।