कोरोना से जूझ चुके ज्यादातर लोगों में मानसिक समस्याएं दिखाई दे रही है। उन्हें एंजाइटी हो रही है, उनके अंदर डर घर कर गया है। वह सामान्य जिंदगी में वापस नहीं लौट पा रहे हैं। किसी ने खुद को घर के भीतर बंद कर लिया है, कोई पूरे समय सिर्फ हाथ धुल रहा है। जरूरी है कि हमें कोविड इलाज के प्रोटोकॉल को बदलना होगा। केवल फेंफड़ों को देखने की जगह हमें एक पूरे पैकेज के तौर पर मरीज को देखना होगा, उसमें दूसरी परेशानियों के साथ मानसिक समस्याएं भी शामिल हैं। मरीजों के साथ आम लोगों को भी बताएं कि इस बीमारी से किस तरह की मानसिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जिससे लोग ज्यादा मजबूत हो सकें।
-डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, प्रतिष्ठित मनोचिकित्सक, भोपाल