23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

170 संवेदनशील जिलों में पहुंची 6 लाख टेस्ट किट, ICMR का समान प्रोटोकॉल लागू करने का सख्त आदेश

राज्य सरकारों को रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का देना होगा हिसाब चिकित्सकों की निगरानी में हो कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट प्रोटोकॉल का सभी को करना होगा पालन

2 min read
Google source verification
c23627db-bb93-4bc7-b6c1-e98d60d3e96c.jpg

,,

नई दिल्ली। देश भर में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए 22 राज्यों के 170 जिलों में 6 लाख जांच किट्स भेजने के बाद केंद्र सरकार ने प्रदेश के मुख्य सचिवों को एक पत्र जारी किया है। केंद्र की ओर से जारी पत्र में साफ शब्दों में कहा गया है कि राज्य सरकारों को एक-एक रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट का ब्योरा केंद्र को देना होगा। साथ ही हर रोज राज्यों से इसकी रिपोर्ट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ( ICMR ) को सौंपनी होगी।

केंद्र सरकार की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि बगैर चिकित्सकीय निगरानी के रैपिड जांच नहीं कराई जा सकती। जिन राज्यों में कोरोना हॉटस्पॉट फिलहाल नहीं है, उन्हें भविष्य को देखते हुए जांच किट्स संभालकर रखने को कहा गया है। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस की रैपिड जांच के लिए राज्य सरकारों को एक जैसा प्रोटोकॉल लागू करने को कहा गया है।

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने अपने पत्र में लिखा है कि नेशनल टास्क फोर्स पूरी दुनिया के कोरोना प्रभावित देशों पर नजर रखे हुए है। सर्विलांस से जुड़े तमाम दस्तावेज का अध्ययन करने के बाद ही देश में रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए प्रोटोकॉल तय किए गए हैं, जिनका पालन सभी को करना है।

उन्होंने कहा कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के दौरान अगर किसी में लक्षण मिलते हैं तो उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जाए। सोशल डिस्टेंस्स, फेस मास्क, हाथों की सफाई और गैरजरूरी यात्रा पर रोक का पालन भी सुनिश्चित करने को कहा गया है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोविड-19 के लिए एक अलग से वेबसाइट बनाई है। हर राज्य रैपिड जांच शुरू करने से पहले पंजीयन करेगा। वेबसाइट पर राज्यों को रोज बताना होगा कि उन्होंने किस जिले के कितने हॉटस्पॉट में रैपिड जांच किट्स का इस्तेमाल किया है। खर्च और भंडारण में मौजूद किट्स का ब्योरा देना होगा। कितने लोगों में संक्रमण की आशंका मिली है। आईसीएमआर डाटा का अपने सर्विलांस में इस्तेमाल करेगा।

आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस की जल्दी जांच के लिए रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट नहीं है। यह एक एक वैकल्पिक व्यवस्था है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ सर्विलांस के लिए होगा। इसमें किसी भी प्रकार संदेह नहीं होना चाहिए।

जानकारी के मुताबिक देश के 377 जिलों में क्लस्टर या हॉटस्पॉट जोन बनाए गए हैं। इनमें से 170 जिलों में हॉटस्पॉट अतिसंवेदनशील हैं। बाकी जिले या राज्य, जहां एक भी मरीज नहीं मिला है, उन्हें भी रैपिड जांच किट्स भेजी जा रही हैं। ताकि भविष्य में अगर कोई हॉटस्पॉट बनता है तो वहां इनका इस्तेमाल हो सके। सर्विलांस के तौर पर उन इलाकों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां से केस रिपोर्ट नहीं हुए हैं, पर मरीज मिलने की आशंका है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 50 लाख रैपिड टेस्ट किट मंगाने के ऑर्डर दिए जा चुके हैं जिनमें से 10 फीसदी से ज्यादा किट्स आ चुकी हैं। हर सप्ताह पांच से छह लाख किट्स और आती रहेंगी। जैसे-जैसे केंद्र को स्टॉक मिलता रहेगा वैसे-वैसे राज्यों को इनकी आपूर्ति कराई जाएगी।

इसके अलावा भारत में भी अब स्वदेशी कंपनी व वैज्ञानिकों की तैयार रैपिड किट्स मिलना की आपूर्ति भी शुरू हो चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक मई तक करीब 20 लाख किट्स का वितरण हो जाएगा।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग