
क्या लॉकडाउन में बढ़ेगी जरूरी दवाओं की किल्लत? उत्पादन 60 प्रतिशत तक ठप
नई दिल्ली। देशव्यापी लॉकडाउन ( Lockdown in India ) के कारण श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स ( Logistics ) की समस्या के कारण दवा कंपनियों ( Pharmaceutical companies ) के कारोबार पर भी असर पड़ा है। दवा कंपनियों में तकरीबन 60 फीसदी उत्पादन ठप पड़ गया है, जिससे आने वाले दिनों में देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों ( Medical devices ) की किल्लत की आशंका भी बनी हुई है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ( Union Ministry of Chemicals and Fertilizers ) के तहत आने वाले औषधि विभाग ने भी इसकी आशंका जताई है। कोरोना वायरस के संक्रमण ( coronavirus infection ) से फैली महामारी की रोकथाम में प्रभावी कदम के तौर पर किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में हालांकि दवा और आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण और विपणन को निरंतर जारी रखने की अनुमति दी गई है, लेकिन श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की समस्या को लेकर दवा बनाने वाली कंपनियों का कारोबार प्रभावित हुआ है।
दवा विनिर्माताओं ने बताया कि कच्चे माल और पैकेजिंग की सामग्री की सप्लाई की समस्या से लेकर कार्यबल की कमी के कारण कंपनियों में पूरी क्षमता के उत्पादन नहीं हो रहा है, जिससे आने वाले दिनों में दवा और चिकित्सा संबंधी उपकरणों का टोटा पड़ सकता है। इंडियन ड्रग मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार मदान ने आईएएनएस से कहा, "लॉकडाउन के कारण श्रमिकों का समस्या पैदा हो गई है। कुछ लोग शहर छोड़कर जा चुके हैं तो कुछ कर्मचारी जहां रहते हैं, वहां कोरंटीन होने के कारण नहीं आ पाते हैं। हालांकि फैक्टरियों में काम चल रहा है, लेकिन 40 से 50 ही श्रमिकों की उपस्थिति रह रही है।"
श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की समस्या से सिर्फ बड़े दवा विनिर्मात ही नहीं, छोटी कंपनियां भी जूझ रही हैं। ऑल इंडिया स्मॉल स्केल फार्मास्युटिकल मैन्युफक्च र्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राकेश जैन ने आईएएनएस को बताया कि लॉकडाउन के बाद करीब 80 फीसदी फक्टरियां में उत्पादन ठप हो चुका है, जिससे आने वाले दिनों में दवाओं की किल्लत हो सकती है। सरकार द्वारा कंपनियों को छूट देने के बावजूद इस तरह की कठिनाई पैदा होने के कारण के बारे में पूछे जाने पर जैन ने बताया कि सरकार द्वारा जो नीतिगत फैसले लिए गए उसकी सूचना जब तक दी गई, तब तक श्रमिक जा चुके थे। उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक्स की भारी समस्या है, पैकेजिंग की सामग्री नहीं होने से बनी हुई टैबलेट की सप्लाई नहीं हो पा रही है।
जैन ने कहा कि दवा बनाने वाले प्लांट ज्यादातर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में हैं, जहां का श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की बड़ी समस्या है और इससे उत्पादन पर भारी असर पड़ा है। राजस्थान फार्मास्युटिकल मैन्युफक्च र्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट विनोद कलानी ने भी बताया फैक्टरियों में 35 से 40 फीसदी से ज्यादा कार्यबल नहीं पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की समस्या के साथ-साथ कुरियर, पैकेजिंग समेत पूरी सप्लाई चेन बाधित है, जिससे कारोबार पर असर पड़ा है। देश में फार्मास्युटिकल प्रोफेशनलों के सबसे पुराने संगठन इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन प्रेसीडेंट डॉ. टी.वी. नारायण ने भी आईएएनएस को बताया कि दवा का उत्पादन प्रभावित होने से आने वाले दिनों में देश में इसकी किल्लत पैदा हो सकती है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दवा कंपनियों को उत्पादन जारी रखने की अनुमति दिए जाने के बावजूद कच्चे माल की आपूर्ति, लॉजिस्टिक्स व परिवहन को लेकर दिक्कतें आ रही हैं। दवा विनिर्माताओं की समस्याओं को लेकर औषधि विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि अगर दवा और चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन दोबारा उसी प्रकार जल्द बहाल नहीं हुआ जिस प्रकार लॉकडाउन के पहले चल रहा था, तो आने वाले दिनों में देश में इसकी किल्लत हो सकती है।
Updated on:
12 Apr 2020 06:29 pm
Published on:
12 Apr 2020 06:21 pm
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