
नई दिल्ली। कहते हैं योगा का जन्म भारत में ही हुआ। योग अब धीरे-धीरे परंपरा बनता जा रहा है। अपने देश में ही नहीं विदेशों में भी सूरज की पहली किरण निकलने के साथ ही कई लोग योग करना शुरू कर देते हैं। यूँ तो भारत में सदियों से योग करने का प्रचलन रहा है। बूढ़ा हो या जवान आम तौर पर सभी चटाई पर बैठकर योगा करते आपको देख जाएंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएँगे जिसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे। अक्सर रिटायरमेंट के बाद योगा बुजुर्गों की पसंदीदा वर्कआउट होता है जो सूरज उगने के साथ शुरू होता है। एक शख्स जमीन पर नहीं बल्कि जमीन से 300 फीट ऊंचा जाकर योगा करता है।
इस शख्स का नाम है खिवराज गुर्जर जिनकी उम्र है 69 वर्ष है। खिवराज जमीन पर नहीं बल्कि साइकिल पर योगा करते हैं और हैरानी वाली बात तो ये है कि ये जमीन से पुरे 300 फिट ऊंचाई पर जाकर किसी पहाड़ी पर योगा करते हैं। ये जोधपुर में ऊंची पहाड़ियों पर चढ़कर पावर योगा करते हैं। खिवराज के स्टंट्स को देखकर तो शायद आप भी सहम जाएं। जोधपुर की ऊंची पहाड़ियों पर जाकर खिवराज योगा करते हैं। खिवराज पहले से ही साइकिलिंग करने का बहुत शौक था लेकिन अब वे धीरे-धीरे वे अपने साइकिलिंग और योगा दोनों ही शौक को मिक्स करके एक नए तरह का योगा दुनिया के सामने ले आए हैं। यहां प्राणायम करते हुए ही देश की राजनीति के अनुलोम और विलोम पर चर्चा की जाती है। लेकिन नॉर्मल दादाजी लोगों का योगा पार्क में मैट बिछाकर या घास पर तशरीफ रख कर होता है। लेकिन जिन डेयरिंग दादा की बात आज हम कर रहे हैं उनका योगा जमीन से 300 फीट की ऊंचाई पर होता है।
पहले खिवराज साइकिलिस्ट थे। बाद में इन्हें योगा का शौक चढ़ा और दोनों का मिक्स करने के बाद इन्होंने दुनिया के सामने योग का एक अलग टाइप बना दिया। आज के समय में खिवराज इतने प्रचलित हो गए हैं कि लोग इनका योग देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। आपको बता दें खिवराज जी जिस साइकिल पर योग करते हैं वह भी खास है। इस साइकिल का नाम है बीएमएक्स साइकिल यह 12 किलो की है शिवराज इसे कंधे पर टांगकर पहाड़ी पर चढ़ जाते हैं। एक और खास बात इस साइकिल का हैंडल 90 डिग्री तक घूम जाता है। वे साइकिल के टायरों की हवा भी अपने हिसाब से रखते हैं जिससे साइकिल का बैलेंस बना रहे। खिवराज सिर्फ पावर योगा नहीं करते वह एक फाइटर भी हैं।
खिवराज की जिंदगी में उस वक्त तूफान आया जब एक हादसे में उनके बेटे और पोते, दोनों की मृत्यु हो गई थी। उस हादसे से भी खिवराज का हौसला कम नहीं हुआ। उन्होंने अपने दुखों को हरा कर जीवन को फिर से शुरू किया। जिससे उन्होंने खुद को ही नहीं बल्कि अपने परिवार को भी हौसला दिया। वैसे खिवराज अपना ज्यादातर वक्त अपनी पोती के साथ बिताते हैं। जिसका नाम रखा है ‘योगा’।
Published on:
12 Dec 2017 02:14 pm
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