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वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद पूर्ण इम्युनिटी, मास्क लगाना फिर भी जरूरी

Published: Dec 04, 2020 02:07:17 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Highlights.
– दुनिया में तीन तरह से बनी कोरोना वैक्सीन, एमआरएनए सबसे बेहतर – 10 को फाइजर, 17 दिसंबर को मॉडर्ना वैक्सीन को अमरीका में मंजूरी संभव- विशेषज्ञों के अनुसार मॉडर्ना वैक्सीन गंभीर मरीजों पर सबसे ज्यादा प्रभावी

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कैलिफोर्निया/नई दिल्ली.

अमरीका में विकसित फाइजर की कोरोना वैक्सीन को ब्रिटेन ने इमरजेंसी अप्रूवल दे दिया, लेकिन अमरीका में अभी इसको मंजूरी नहीं मिली है। कोरोना की वैक्सीन शरीर पर काम कैसे करती है और यह कितने दिनों का सुरक्षा कवच देगी? वैक्सीन लगने के बाद क्या यह पहले दिन से ही प्रभावी हो जाएगी? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब पत्रिका के लिए एक्सक्लूसिव कैलिफोर्निया में रह रहे डॉ. अनिल शर्मा ने दिए। डॉ. अनिल वैक्सीन मॉनिटरिंग एंंड डिस्ट्रीब्यूशन कमेटी ऑफ लॉस एंजिलस में मेम्बर हैं। इसके अलावा यूसीएलए स्कूल ऑफ मेडिसिन में फैकल्टी मेम्बर व एलए हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर हैं।
सवाल : वैक्सीन की दोनों डोज के बाद कितने समय तक इम्युनिटी रहेगी?

डॉ. अनिल : विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वैक्सीन से सामान्यत: 5-10 साल इम्युनिटी रहेगी। इससे अधिक समय तक भी रह सकती है। हालांकि इसको लेकर अभी कोई स्टडी या दावा नहीं आया है।
सवाल : क्या वैक्सीन लगने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क पहना जरूरी होगा?

डॉ. अनिल : वैक्सीन लगने के 28 दिन में शरीर में इम्युनिटी विकसित होती है। इसके 21-28 दिन बाद पूर्ण इम्युनिटी के लिए वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाएगी। हालांकि शरीर में एंटीबॉडीज विकसित होने के लिए कोई चेकअप या मानक तय नहीं हुआ। दोनों वैक्सीन करीब 95 प्रतिशत प्रभावी हैं, लेकिन मास्क पहना जरूरी है।
सवाल : क्या बच्चों के लिए भी वैक्सीन लगाई जाएगी या जरूरत होगी?

डॉ. अनिल : अभी कोरोना की वैक्सीन 18 साल तक के बच्चों को दी जा सकती है। एस्ट्राजेनेका, फाइजर और मॉडर्ना 13 साल तक के बच्चों को कोरोना वैक्सीन की कितनी जरूरत है, इस पर शोध कर रही हैं। उम्मीद है कि आगे 13 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन दी जाएगी
सवाल : क्या वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में किसी तरह की सावधानी की जरूरत है?

डॉ. अनिल : जैसा कि बुखार में अन्य वैक्सीन नहीं दी जाती है। ठीक उसी तरह से इसे भी नहीं दिया जाएगा। वैक्सीन लगने के बाद हल्का लाल होना व सूजन के साथ बुखार आ सकता है। लेकिन यदि तीनों चीजें ज्यादा लगें तो वैक्सीनेशन टीम को जानकारी देनी होगी।
सवाल : एमआरएनए आधारित फाइजर व मॉडर्ना वैक्सीन कैसे आगे निकल गईं?

डॉ. अनिल : सार्स व मार्स वायरस का जब कई देशों में संक्रमण फैला था तो उस समय एमआरएनए तकनीक आधारित वैक्सीन विकसित की गई थी। लेकिन चार-पांच साल बाद ये दोनों वायरस लगभग खत्म हो गए तो इसकी जरूरत नहीं पड़ी। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि कोरोना वायरस की संरचना काफी हद तक समान है। इसलिए इस एमआरएनए तकनीक पर आधारित वैक्सीन बनाने में थोड़ा जल्दी हुई।
सवाल : फाइजर वैक्सीन अमरीकी कंपनी ने विकसित की तो कैसे ब्रिटेन ने पहले अप्रूवल दे दिया?

डॉ. अनिल : फाइजर वैक्सीन के तीनों ट्रायल अमरीका में हुए हैं। अमरीका में किसी वैक्सीन व दवा का अपू्रवल एफडीए स्वयं करता है। वह सिर्फ कंपनी के ट्रायल डाटा रिपोर्ट के आधार पर अप्रूवल नहीं देता है। एफडीए अभी वैक्सीन के परीक्षण के डाटा की एनालिसिस कर रहा है। ब्रिटेन ने जब एक दिन पहले इसको इमरजेंसी प्रयोग के लिए मंजूरी दी तो कोरोना को लेकर गठित व्हाइट हाउस की इनीशिएटिव टीम ने इसके बारे में स्पष्ट किया। दूसरी ओर ब्रिटेन में भी इसका ट्रायल हुआ था। ब्रिटेन ने कंपनी के डाटा को सच मानकर अप्रूवल दे दिया।
सवाल : क्या फाइजर के बाद मॉडर्ना वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है?

डॉ. अनिल : दोनों वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल का आवेदन एफडीए के पास है। फाइजर को लेकर 10 दिसंबर व मॉडर्ना वैक्सीन के लिए 17 दिसंबर एफडीए बैठक कर घोषणा करेगा। यदि दोनों वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो 12 दिसंबर से फाइजर व 21 दिसंबर से मॉडर्ना के टीके लगना शुरू हो जाएंगे। 12 दिसंबर को फाइजर की वैक्सीन मुझे भी लगेगी।
सवाल : कोरोना वैक्सीन किस तकनीक पर विकसित हो रही हैं?

डॉ. अनिल : वायरस से जुड़ी वैक्सीन मूलत: तीन तकनीक एमआरएनए, वेक्टर व प्रोटीन सब यूनिट के आधार पर विकसित की जाती है। एमआरएनए आधारित फाइजर व मॉडर्ना वैक्सीन विकसित की गई है। यह वायरस के जेनेटिक मैटेरियल को लेकर बनाई जाती है। एस्ट्राजेनेका वेक्टर वैक्सीन बना रही है। इसमेे वैक्सीन को बनाने के लिए दो अलग तरह के वायरस का प्रयोग करते हैं। एंफ्जूएंजा जैसे कमजोर वायरस को लेकर वैक्सीन के अंदर कोरोना वायरस मैटेरियल को भी डालते हैं। इसे सामान्य तापमान पर रखा जा सकता है। तीसरा प्रोटीन सब यूनिट, इसके तहत कोरोना वायरस के जेनेटिक से प्रोटीन का हिस्सा लेकर वैक्सीन को विकसित करते हैं।
सवाल : वायरस को रोकने के लिए शरीर कैसे काम करता है?

डॉ. अनिल : इम्यून सिस्टम समझने के लिए सबसे पहले यह समझना आवश्यक है कि शरीर में कोशिकाएं क्या काम करती हैं। शरीर में मुख्यत: दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, रेड और व्हाइट और प्लेटलेट्स होते हैं। दोनों के दो-दो प्रकार होते हैं। डब्ल्यूबीसी के दो प्रकार बी व टी कोशिकाएं होती हैं। टी कोशिका की खासियत होती है कि वह 5-10 साल बाद भी वायरस को पहचान कर उसके खिलाफ इम्युन को मजबूत करने वाले बी सेल्स को बना सकते हैं। इसलिए टी कोशिका को मेमोरी सेल्स भी कहा जाता है।
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