दूसरे वीडियो में यह लड़की उन्हीं कपड़ो में अपनी उम्र के एक लड़के के साथ नाचते हुए दिखाई दे रही है। इस वीडियो क्लिप में लड़की लड़के के ऊपर गिर जाती है। दरअसल चाइनीज एप पर इस तरह की कम से कम साढ़े पांच सौ वीडियो मौजूद हैं। जो गांव की बच्चियां नाम के अकाउंट से पोस्ट की गई हैं। इस अकाउंट के 98,8000 फालोवर्स हैं।
कुछ वीडियो में दो से तीन साल की बच्चियां हैं। जो लिप-सिंक (किसी गाने में होंठ हिलाना) या अपनी उम्र के हिसाब से अलग तरीके से नाचते हुए दिखाई देती हैं। बच्चियां खाना बनाते हुए और कुएं से पानी निकालते हुए भी नजर आती हैं। इन वीडियो पर ज्यादातर कमेंट करने वाले पुरुष हैं जो बच्चियों के शरीर पर कमेंट करते हुए उन्हें और शरीर दिखाने के लिए कहते हैं।
यौन हिंसा का दायरा
किसी बच्चे के साथ सीधे यौन संपर्क बनाया जाए, या अपनी यौन संतुष्टि के लिए उन्हें किसी तरह की यौन क्रिया या कुछ असामान्य करने के लिए कहा जाए तो ये बच्चे के साथ होने वाली यौन हिंसा है। यौन हिंसा ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों तरह की होती है। यौन हिंसा को वीडियो, फोटो या तस्वीर में रिकॉर्ड करना चाइल्ड पोर्न है, फिर चाहे वो आपके निजी इस्तेमाल के लिए क्यों न हो।
सस्ता होने की वजह से बढ़ा कारोबार
एक्सपर्ट की माने तो ‘शॉर्ट वीडियो नाबालिग लड़कियों को चाइल्ड पोर्नोग्राफी के लिए तैयार करने का आसान रास्ता है।’ इंटरनेट का इस्तेमाल करना सस्ता हो गया है ऐसे में शॉर्ट वीडियो सोशल मीडिया ऐप्स क्वाई और टिकटॉक को पिछले कुछ सालों में लाखों फालोवर्स मिल गए हैं।
ज़रूरी नहीं कि पोर्न सामग्री में बच्चे के साथ किसी तरह की यौन क्रिया होती दिखाई जाए। यह भी जरूरी नहीं कि उन तस्वीरों या वीडियो में बच्चा खुद कुछ कामुक या उत्तेजक करता नजर आए। किसी बच्चे की बगैर कपड़ों की तस्वीर या वीडियो भी चाइल्ड पोर्न में आते हैं। ख़ास तौर पर वे जिनमें उनके गुप्तांग नजर आते हों।
निचले और मध्यम वर्ग को बना रहे टारगेट
क्वाई, टिकटॉक और क्लिप ऐप्स का भारत के निचले या निचले मध्यम वर्ग के यूजर्स को अपना लक्ष्य बनाना है। इसकी भारत पर अच्छी पकड़ बन गई है। क्वाई ने चीन के बाद भारत के बाजार को अपनी प्राथमिकता बनाया है। उसका दावा है कि भारत में उसके 10-15 मिलियन यूजर हैं। टिकटॉक को चीनी कंपनी बाइटडांस ने बनाया है। इसकी भी प्राथमिकता भारतीय बाजार है और इसके फरवरी 2018 तक यहां 15 मिलियन यूजर्स हो गए थे। वहीं क्लिप ऐप को बेशक भारत ने बनाया है लेकिन चीन की शुनवेई कैपिटल इसकी निवेशक है, इसके दिसबंर 2017 तक 3 मिलियन यूजर्स थे। इन सभी ऐप्स में ज्यादातर कटेंट कम कपड़ों वाली महिलाओं या नाबालिग लड़कियों और लड़कों का होता है जो बाथरुम में या पूल में पोज देते, अश्लील गानों पर लिप सिंक करते हुए या दर्शकों से फ्लर्ट करते हुए दिखाई देते हैं।
एक्सपर्ट्स की माने तो कई बार मां-बाप का घरवाले ही अपने बच्चों के दुश्मन बन जाते हैं। दरअसल बच्चों की अच्छे वीडियो जिसमें कई बार वे कम कपड़ों या बिना कपड़ों के भी होते हैं सोशल साइट्स पर शेयर कर देते हैं। अनजाने में अपलोड किए गए उनके वीडियो इंटरनेट पर घूम रहे शिकारी चुरा लेते हैं और न चाहकर भी परिजन ही बच्चों के दुश्मन बन जाते हैं।
इंटरनेट यौन हिंसा की लाइव स्ट्रीमिंग का दौर भी है, जिसमें लोग पैसे देकर किसी बच्चे के साथ हो रही यौन हिंसा का लाइव वीडियो देखते हैं। इसे ट्रेस करना बेहद मुश्किल है क्योंकि ऐसे रियल-टाइम इवेंट्स एक बार होकर खत्म हो जाते हैं और अपने पीछे डिजिटल फुटप्रिंट यानी सबूत नहीं छोड़ते।