राजौरी के सहायक पुलिस अधीक्षक लियाकत अली ( lLiyakat Ali ) का कहना है कि पीढ़ी पुलिस थाने में तीन लोगों की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई गई है। परिजनों का आरोप है कि तीन युवक मजदूरी के लिए शोपियां ( Shopian ) गए थे, जहां से वे सभी गायब हो गए हैं। एक युवक के पिता का आरोप है कि 18 जुलाई को शोपियां इलाके में एनकाउंटर ( Shopian Encounter ) में उनके बेटे की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अबरार अहमद, इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद तीनों 16 जुलाई को मजदूरी के लिए कश्मीर (Kashmir) गए थे। 17 जुलाई को तीन शोपियां पहुंचे थे। आखिरी बार उनसे 17 जुलाई को ही बात हुई थी, उसके बाद से उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ आ रहा था। करीब 21 दिन बाद अब इन तीनों के परिजन सामने आए हैं और उनका आरोप है कि 18 जुलाई के एनकाउंटर में उनके बच्चों को मार दिया गया है। वहीं, इस पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि इस मामले में पहला इनपुट सेना को मिला था और सेना के द्वारा ही एनकाउंटर (Encounter) शुरू किया गया है। वहीं, सेना (Indian Army) का कहना है कि यह कोई फेक एनकाउंटर (Fake Encounter) नहीं है। पूरे मामले की जांच की जा रही है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मुठभेड़ को लेकर शुरू से ही सवाल उठ रह थे। क्योंकि, घाटी के अंदर पहली बार इस तरह की कोई मुठभेड़ थी। जम्मू-कश्मीर पुलिस ( Jammu Kashmir Police ) को इस एनकाउंटर की जानकारी तकरीबन एक घंटे के बाद मिली थी। यह मुठभेड़ एक बाग में हुई थी। शाम को पुलिस ने कहा था कि तीन अज्ञात आतंकी मारे गए हैं। वहीं, रिश्तेदारों की मांग है कि शवों को उन्हें वापस दिया जाए और मामले की छानबीन की जाए। वहीं, रक्षा प्रवक्ता राजेश कालिया ( Rakesh Kalia ) ने कहा कि हमने 18 जुलाई 2020 को शोपियां में ऑपरेशन से जुड़े सोशल मीडिया इनपुट्स नोट किए हैं। ऑपरेशन के दौरान मारे गए तीन आतंकवादियों की पहचान नहीं की गई है और शवों को स्थापित प्रोटोकॉल के आधार पर दफनाया गया था। सेना अब इस मामले की जांच कर रही है। वहीं, इस मामले ने अब तुल पकड़ लिया और अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।