10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दावा: ‘स्वामी विवेकानंद कॉलेज के दिनों में अंग्रेजी में थे कमजोर, मिले थे औसत अंक’

'द मॉडर्न मॉन्क व्हाट विवेकानंद मीन्स टू अस टूडे' किताब में दावा किया गया। बीए में 56 फीसदी अंक पाए।

2 min read
Google source verification

image

rohit panwar

Jan 09, 2017

swami vivekanand performance in english

swami vivekanand performance in english

नई दिल्ली. अंग्रेजी भाषा पर स्वामी विवेकानंद की पकड़ ने हजारों लोगों को उनका कायल बना दिया था लेकिन विश्वविद्यालय की तीन परीक्षाओं में उन्हें मिले अंक कतई प्रभावित करने वाले नहीं थे। इस बात का खुलासा 19वीं सदी के इस दार्शनिक साधु पर लिखी गई एक नई किताब में किया गया है।

निजी जीवन और कुशलता का उल्लेख किया

किताब का नाम द मॉडर्न मॉन्क व्हाट विवेकानंद मीन्स टू अस टूडे है। इसमें भारत की आधुनिक कल्पना की सबसे अहम हस्तियों में से एक विवेकानंद के जीवन को एक नए नजरिये से देखा गया है। पेंग्विन द्वारा प्रकाशित यह किताब कहती है, एक अमीर वकील के परिवार में जन्म होने के कारण वह अच्छी से अच्छी शिक्षा हासिल कर सके और कलकत्ता के प्रसिद्ध मेट्रोपोलिटन इंस्टीटयूट स्कूल में पढ़ाई की। शायद इसीलिए वह ब्रितानी प्रवाह के साथ अंग्रेजी बोल और लिख सके। हालांकि लेखक का कहना है कि विवेकानंद को मिले अंक उनके कौशल की बानगी पेश नहीं करते, खासतौर पर अंग्रेजी में।

कितने अंक पाए

किताब के लेखक हिंडल सेनगुप्ता के अनुसार, उन्होंने विश्वविद्यालय की तीन परीक्षाएं दीं। इनमें एंट्रेंस एग्जाम, फस्र्ट आर्ट्स स्टैंडर्ड (एफए )और बैचलर ऑफ आर्ट्स परीक्षाएं शामिल हैं। एंट्रेस एग्जाम में अंग्रेजी भाषा में उन्हें 47 प्रतिशत अंक मिले थे। एफए में 46 प्रतिशत और बीए में 56 प्रतिशत अंक मिले थे। यही नहीं, किताब में लेखका का दावा है कि गणित और संस्कृत जैसे विषयों में भी उनके अंक औसत ही रहे। बहरहाल, लेखक का कहना है कि विवेकानंद की आधुनिकता ही है, जो हमें आज भी आकर्षित करती है। हम जिन भी साधुओं को जानते हैं, वह उन सबसे अलग हैं।

फ्रांसीसी कला से प्यार

किताब में लिखा गया कि न तो इतिहास उन्हें बांध पाया और न ही कोई कर्मकांड। वह अपने आसपास की हर चीज पर और खुद पर भी लगातार सवाल उठाते रहते थे। विवेकानंद के लेखों, पत्रों और भाषणों जैसे विभिन्न स्रोतों को उद्धत करते हुए सेनगुप्ता बताते हैं कि उन्हें फ्रांसीसी कला की किताबों से बड़ा प्यार था। वह जहाज बनाने के पीछे की अभियांत्रिकी में रुचि रखते थे और गोला-बारूद बनाने की प्रौद्योगिकी में भी उनकी दिलचस्पी थी।

बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग