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चमोली त्रासदी: ऋषि गंगा नदी पर बना पुल पानी के सैलाब में बह गया था, BRO ने सिर्फ दस दिन में फिर से बना दिया

Published: Mar 04, 2021 09:06:06 am

Submitted by:

Ashutosh Pathak

Highlights. – सात फरवरी को सुबह करीब साढ़े दस बजे चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से भारी तबाही हुई थी – त्रासदी में करीब डेढ़ सौ लोग लापता हैं, जबकि 72 शव मिल चुके हैं, लापता लोगों की तलाश जारी है – सीमा सडक़ संगठन ने दस दिन से भी कम समय में ऋषि गंगा नदी पर बहे पुल को बना दिया है
 

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नई दिल्ली।

बीते महीने सात फरवरी को सुबह करीब साढ़े दस बजे चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से भारी तबाही हुई थी। इस त्रासदी में करीब डेढ़ सौ लोग अब भी लापता हैं, जबकि 72 शव मिल चुके हैं। लापता लोगों की तलाश अब भी जारी है।
वहीं, राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के अलावा सेना की टीमें लगी हुई हैं, जबकि त्रासदी को लेकर अधिक से अधिक जानकारी जुटाने के लिए वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदें की टीम भी काम कर रही है।
दूसरी ओर, अच्छी जानकारी यह है कि उत्तराखंड के चमोली में जिले में गत सात फरवरी को आई इस तबाही में ऋषि गंगा नदी का पुल बह गया था, जिसे सीमा सडक़ संगठन यानी बीआरओ ने एक महीने से भी कम समय में इसे बना दिया है। यही नहीं, इस पुल को घटना के एक माह पूरा होने से पहले ही जनता के लिए खोल भी दिया जाएगा। जी हां, 5 मार्च यानी शुक्रवार को यह पुल जनता की सुविधा के लिए एक बार फिर से चालू हो जाएगा। करीब 190 मीटर लंबे इस पुल का निर्माण दस दिन से भी कम समय में पूरा हो गया। यह अपने दिए गए लक्ष्य से 15 दिन पहले पूरा हुआ। इस पुल के बनने से त्रासदी के बाद चमोली जिले से कट गए गांव वापस जुड़ जाएंगे।
फिर से जुड़ सकेंगे गांव
सीमा सडक़ संगठन की शिवालिक परियोजना के चीफ इंजीनियर एएस राठौड के अनुसार, इस पुल के बनने से इस प्राकृतिक आपदा के बाद मुख्यधारा से कट गए लोगों को चमोली जिले से जुडऩे में मदद मिलेगी। करीब 13 गांव अभी जिले से कटे हुए हैं, जिन्हें पुल के शुरू हो जाने से फायदा होगा।
दिन रात जुटे रहे इंजीनियर और मजदूर
इंजीनियर एएस राठौड़ ने बताया कि 40 टन वहन करने की क्षमता इस बेली ब्रिज की है। इसकी लंबाई 190 मीटर है। इस पुल को बनाने की समय सीमा आगामी 20 मार्च तक निर्धारित की गई थी, लेकिन सीमा सडक़ संगठन यानी बीआरओ ने इस कठिन समय में भी दिन रात एक करके पुल को करीब एक पखवाड़े पहले ही बना दिया। इस बेली ब्रिज का काम गत 25 फरवरी को शुरू किया गया था। परीक्षण के बाद इस पुल को कल यानी 5 मार्च को जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
आंकड़ों के जरिए पूरी बात-
– 7 फरवरी को ग्लेशियर फटने के बाद आए पानी के सैलाब में पुल बह गया था।
– 13 गांव पुल बहने के बाद चमोली जिले से कट गए थे।
– 25 फरवरी 2021 को सीमा सडक़ संगठन यानी बीआरओ ने पुल के निर्माण का काम शुरू किया।
– 40 टन है नए बने पुल की वहन क्षमता।
– 190 मीटर लंबा है यह नया बना हुआ पुल।
– 20 मार्च 2021 तक इस पुल का काम पूरा कर लिया जाना था।
– 15 दिन पहले ही बीआरओ ने इस पुल को बना लिया।
– 5 मार्च 2021 से यह पुल फिर से जनता के लिए खोल दिया जाएगा।
– 25 इंजीनियर इस पुल को बनाने में जुटे रहे।
– 250 श्रमिकों ने दिन रात एक कर इस पुल को समय से पहले बना दिया।
चमोली जिले में आई तबाही में अभी तक 72 लोगों के शव मिले हैं, जबकि करीब डेढ़ सौ लोग अब भी लापता है। ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा नदी में बाढ़ आ गई थी, जिससे आसपास के इलाके डूब गए थे और पानी के सैलाब ने भयंकर तबाही मचाई। हालांकि, हालात अब धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं।
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