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चंद्रयान 2: लैंडर विक्रम से संपर्क साधने में जुटा ISRO, माइनस 200 डिग्री सेल्सियस का क्या होगा असर?

Published: Sep 11, 2019 09:34:25 am

Submitted by:

Mohit sharma

ISRO ने चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की खोज निकाल ली है
इसरो अभी तक लैंडर से कोई संपर्क नहीं कर पाया
इसरो के वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क साध पाएंगे?

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नई दिल्ली। इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन ( ISRO ) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की खोज निकाल ली है।

यह काम चंद्रयान के इस आर्बिटर ने कर दिखाया है, जो चंद्रमा की 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा है।

हालांकि इसरो अभी तक लैंडर से कोई संपर्क नहीं कर पाया है।

ISRO ने जारी किया वीडियो, चांद पर ऐसे काम करता है चंद्रयान-2 का लैंडर-

लेकिन यहां यह भी बड़ा सवाल है कि आखिर क्या एक बार फिर से इसरो के वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क साध पाएंगे?

यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या लैंडर विक्रम से कम्यूनिकेशन बनाने को भी कोई डेड लाइन है?

दरअसल, अभी तक लोगों को इन सवालों का स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। यही वजह है कि आज भारत ही पूरी दुनिया इसरो की और उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।

आपको बता दें कि इसरो का चंद्रयान 2 के लैंडर से रविवार को संपर्क टूट गया था।

अब जबकि इस बात को 5 दिन से अधिक का समय हो चुका है, बावजूद इसके लैंडर से कोई संपर्क स्थापित नहीं हो सका है।

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इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार लैंडर विक्रम की लोकेशन पता चलते ही उससे संपर्क साधने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि 21 सितंबर तक लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास किया जा सकता है। इस तरह से मानें तो इस मिशन को पूरा करने में इसरो के पास के केवल 10 दिन का ही समय शेष बचा है।

क्योंकि यह समय बीतते ही लूनर नाइट शुरू हो जाएगी।

जिसे बाद चंद्रमा पर हालात एकदम बदल जाएंगे। इसका सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि लैंडर विक्रम को 14 दिन तक ही सूर्य की रोशन मिल सकेगी।

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दरअसल, चांद की सतह पर तापमान बेहद ठंडा होता है। साउथ पोल पर तापमान का पारा माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।

अब जबकि लैंडर विक्रम की लैंडिंग भी चांद के साउथ पोल ही हुई है। ऐसे में लैंडर कितना सर्वाइव कर सकता है यह एक बड़ा सवाल है।

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