17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चंद्रयान-2: अब लैंडर विक्रम ढूंढने के लिए बचे सिर्फ 11 दिन, ISRO ने साझा की बड़ी जानकारी

Chandrayaan-2 हार्ड लैंडिंग की वजह से टूटा संपर्क ISRO ने तय की खोजने की समय सीमा वैज्ञानिकों ने साझा की लैंडर विक्रम को लेकर नई जानकारियां

2 min read
Google source verification
chandrayaan_2_mission_1567821767.jpg

नई दिल्ली। चंद्रयान-2 के चांद की सतह पर कदम रखने को लेकर पूरा देश उत्साहित था। उम्मीद के मुताबिक हुआ भी लगभग वैसा ही। बस थोड़ी सी कमी रह गई। खास बात यह है कि इस कमी को ढूंढने के लिए ISRO ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हर पल इससे जुड़ी जानकारियां देशवासियों से साझा भी की जा रही है।

मंगलवार को भी इसरो ने लैंडर विक्रम के संपर्क से लेकर उसकी लैंडिंग तक की कुछ जानकारियां साझा की हैं। इन जानकारियों पर गौर करें तो कई सारे खुलासे हो जाएंगे।

लैंडर विक्रम को लेकर वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा, ट्वीट के जरिये खोले कई राज

चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की लैंडिंग को लेकर करोड़ों लोगों के मन में कई सवाल हैं। इन सवालों की अहमियत को समझते हुए इसरो लगातार अपनी जानकारियां भी साझा कर रहा है। इसी कड़ी में इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे कैमरे ने जो तस्वीरें भेजी हैं, उससे यह पता चला है कि विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी।

दरअसल इसरो की कोशिश थी कि चांद के दक्षिण ध्रुप पर जब लैंडर विक्रम लैंड करे तो उसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाए। लेकिन गति की वजह से लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई है। यही वजह है कि लैंडर विक्रम चांद पर टेढ़ा पड़ा है।

इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक हर चीज की अपनी सीमाएं होती हैं। खास बात यह है कि हमें भूस्थिर कक्षा में लापता हुए अंतरिक्ष यान से फिर से संपर्क कायम करने का अनुभव है। यही वजह है कि टीम ने 35 घंटे के अंदर ही लैंडर विक्रम की लोकेश ट्रेस कर ली।

हालांकि, विक्रम के मामले में संचालन की वैसी स्थितियां नहीं हैं।

क्योंकि ये साउथ पोल का सबसे खतरनाक इलाका है। यहां मौसम के साथ-साथ चांद की सहत पर कई सारी दुविधाएं हैं जो किसी भी लैंडर को लैंड करने में कठिनाइयां बढ़ाती हैं।

यही वजह रही है कि अब तक सभी देश यहां लैंडिंग कराने में विफल हुए हैं।

एक और वैज्ञानिक मुताबिक, विक्रम की स्थिति पहले जैसी ही बनी हुई है। उससे संपर्क करने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं। हालांकि फिलहाल उसे हिलाना ढुलाना काफी मुश्किल लग रहा है।

अगर लैंडर विक्रम ने सॉफ्ट लैंडिंग की होती तो इसकी सारी प्रणाली कार्य कर रही होतीं।

बताया जा रहा है कि अभी लैंडर विक्रम की कुछ प्रणालियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं, जिसकी वजह से संपर्क साधने में देरी हो रही है।

अन्य ऑर्बिटर की मदद से इसरो लगातार लैंडर के बारे में जानकारियां जुटा रहा है।

सिर्फ 14 दिन की जाएगी कोशिश
लैंडर और रोवर की मिशन अवधि एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिनों के बराबर है।

इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी लैंडर से संपर्क साधने की 14 दिन तक कोशिश करेगी।

इसके बाद इस कोशिश को रोक दिया जाएगा। हालांकि ऑर्बिटर के जरिये 1 साल तक तस्वीरें मिलती रहेंगी।