वैज्ञानिक विक्रम लैंडर के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर के डेटा से ये पता करने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर 2.1 किमी की ऊंचाई पर क्यों वह अपने रास्ते से भटक गया।
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर वैसा ही यंत्र होता है जैसे किसी विमान का ब्लैक बॉक्स। दरअसल चांद की सतह से 2.1 किमी की ऊंचाई पर विक्रम अपने तय रास्ते से भटक गया था। इसके बाद वह 60 मीटर प्रति सेकंड की गति से 335 मीटर तक आया। ठीक इसी जगह उसका पृथ्वी पर स्थित इसरो सेंटर से संपर्क टूटा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसी संभावना है कि जिस गति के साथ लैंडर चांद की तरफ बढ़ रहा था, उसकी वजह से वहां तेज धूल का गुबार उठा होगा और इसके बाद वो चांद की सतह से टकरा कर क्रैश हो गया होगा।
लैंडर बीच-बीच में चांद के चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर से कनेक्ट हो रहा है, इसलिए इसरो वैज्ञानिकों को अब भी उम्मीद है कि लैंडर से संपर्क स्थापित हो जाएगा।