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चंद्रयान-2: 21 सितंबर तक लैंडर विक्रम से नहीं हुआ संपर्क तो फिर ये करेगा ISRO

Chandrayaan-2 ISRO ने नहीं मानी है हार 5 दिन तक नहीं हुआ संपर्क तो नई रणनीति पर होगा काम इस वजह से लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं कर पा रहा कोई

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नई दिल्ली। चंद्रयान-2 की सफलता को लेकर पूरी दुनिया की नजरें अब लैंडर विक्रम पर टिकी हुई हैं। खास बात यह है कि चांद पर धीरे-धीरे शाम हो रही है और 21 सितंबर तक अगर संपर्क नहीं हुआ तो यहां रात आ जाएगी। यानी लैंडर विक्रम से संपर्क के आसार खत्म हो सकते हैं।

हालांकि इस बीच ISRO वैज्ञानिक जी जान से लैंडर विक्रम से संपर्क बनाने में जुटे हैं। यही नहीं NASA भी 17 सितंबर को उसी जगह से गुजरेगा जहां लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई थी। इस दौरान नासा लैंडर विक्रम की कुछ तस्वीरें भी भेजेगा। इसके बाद इसकी स्थिति कुछ और स्पष्ट हो जाएगी। हालांकि इन सबके बावजूद 21 सितंबर तक लैडंर विक्रम से संपर्क नहीं हुआ तो फिर ISRO की क्या रणनीति होगी आईए वो जान लेते हैं।

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लैंडर विक्रम से संपर्क करने में अब पांच दिन बचे हैं।

इन दिनों ISRO अपनी पूरी ताकत इससे संपर्क करने में झोंक देगा।

हालांकि नासा भी इसको लेकर पूरजोर कोशिश कर रहा है।

दरअसल हार्ड लैंडिंग की वजह से लैंडर विक्रम को काफी नुकसान हुआ है।

अब तक को वो सौर ऊर्जा के जरिये चार्ज हो रहा है, लेकिन चांद पर शाम होने के कारण उसकी चार्जिंग लगातार कम हो रही है।

ऐसे में 21 तारीख को ये पूरी तरह खत्म हो जाएगी और लैंडर विक्रम से संपर्क करने का कोई जरिया नहीं बचेगा।

ऐसा होता है तो चंद्रयान-2 मिशन को असफल करार दिया जाएगा।

ऐसे में पारंपरिक रूप से इसरो अपने अभियान से पूर्व फेल अभियानों की स्टडी करता है और अगर चंद्रयान 2 फेल हुआ तो इसरो इसकी पूरी समीक्षा के बाद ही अगले मिशन की रूपरेखा तैयार करेगी।

चंद्रयान 2 मिशन की महत्वपूर्व कड़ी लैंडर पर गहन समीक्षा इसलिए भी जरूरी है कि रूस की ओर से किए गए इनकार के बाद स्वदेशी तकनीक से निर्मित लैंडर विक्रम ही मिशन की असलता का प्रमुख कारण बनकर उभरा है।

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पहले इसरो ने चंद्रयान 2 की लांचिग की तारीख को अचानक बदल दिया। चंद्रयान1 के प्रक्षेपण से पूर्व दुनिया के सभी फेल अभियानों की समीक्षा की गई ताकि संभावित चूकों को रोकने के उपाय किए जा सके।

यही प्रकिया मंगलयान के वक्त भी अपनाई गई थी। हालांकि चंद्रयान 2 अभियान से पूर्व भी इसरो ने चीन, रूस और अमरीका के आरंभिक फेल अभियानों का अध्ययन किया था।

अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले 6 दशक में चंद्र मिशन में सफलता 60 प्रतिशत मौकों पर मिली है। इस दौरान 109 चंद्र मिशन शुरू किए गए, जिसमें 61 सफल हुए और 48 असफल रहे।

वर्ष 2009 से 2019 के बीच पूरे विश्व में भारत समेत कुल 10 मिशन लॉन्च किए गए, जिसमें से 5भारत ने, 3 अमरीका और एक-एक चीन और इजरायल ने लांच किया था, जो सफल रहे थे।

आपको बता दें कि वर्ष 1990 से अब तक अमरीका, जापान, भारत, यूरोपियन यूनियन, चीन और इजरायल 19 लुनार मिशन लॉन्च कर चुके हैं।

चंद्रयान-2 मिशन के बाद अब इसरो गगनयान मिशन पर लग गई है, जो एक मानवयुक्त स्पेस मिशन होगा। इस मिशन की तैयारी इसरो और भारतीय वायुसेना की ओर से शुरू भी कर दी गई हैं। इसरो गगनयान मिशन के लिए तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा के लिए भेजेगा।

गगनयान के अंतर्गत इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगा और उन्हें वहां से वापस लेकर आएगा। इस मिशन पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।