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चंद्रयान-2: अंधेरे के आगोश में डूबा चांद, अब न करें विक्रम से संपर्क की आस, विक्रम है इतिहास की बात

12 दिनों से संपर्क में नहीं लैंडर विक्रम भारतीय समयानुसार चांद पर शाम ढल चुकी है 21 सितंबर को चांद पर घना अंधेरा होगा

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नई दिल्‍ली। इसरो के अध्‍यक्ष के. सिवन के नेतृत्‍व में वैज्ञानिकों की टीम अब भी चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने को लेकर प्रयासरत है। हालांकि इसरो ने मंगलवार को एक ट्वीट के जरिए देशवासियों के प्रति आभार जताकर लैंडर से संपर्क न होने की अंतिम सूचना दे दी है। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने अभी तक हार नहीं मानी है। इसरो के वैज्ञानिकों को लगता है विज्ञान में चमत्‍कार का खेल अभी बाकी है।

7 सितंबर से विक्रम इसरो के संपर्क से है दूर

बता दें कि 7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था। लेकिन उससे चंद सेकेंट पहले इसरो से लैंडर विक्रम का संपर्क टूट गया। उसके बाद से अभी तक काफी जद्दोजहद के बाद भी लैंडर से संपर्क नहीं हो पाया है। तीन घंटे बाद चांद पर रात हो जाएगी। उसी के साथ विक्रम से संपर्क की आखिरी उम्‍मीद भी समाप्‍त हो जाएगी।

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चांद पर शाम ढल चुकी है

वैसे भी 2 चांद पर 14 दिन काम करने का मिशन लेकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को मून मिशन के तहत चांद पर भेजा गया था। यह टाइम पूरा होने में अब केवल तीन से चार दिन शेष है। आज 18 सितंबर है। यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से करीब 3 घंटे पहले का वक्त वहां पर हो गया है। यानि चांद पर शाम ढल चुकी है। भारतीय समयानुसार जब हमारे कैलेंडर में 20 और 21 सितंबर की तारीख होगी, तब चांद पर रात का अंधेरा छा चुका होगा।

21 सितंबर के बाद विक्रम से संपर्क को चमत्‍कार माना जाएगा

16 सितंबर को नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट वैज्ञानिक नोआ ई पेत्रो ने बताया था कि चांद पर शाम होने लगी है। हमारा LRO विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो लेगा लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी या नहीं। मंगलवार को नासा का एलआरओ तस्‍वीर ले पाया या नहीं यह स्थिति अभी स्‍पष्‍ट नहीं है।

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वैज्ञानिक पेत्रो शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना चुनौतीपूर्ण काम होगा। लेकिन जो भी तस्वीरें आएंगी, उन्हें हम भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो से साझा करेंगे।

उन्‍होंने कहा कि अगर 20-21 सितंबर तक किसी तरह भी इसरो और दुनिया भर की अन्य एजेंसियों के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल हो गए तो ठीक, नहीं तो यह माना जा सकता है कि दोबारा विक्रम से संपर्क करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि चांद पर रात शुरू हो जाएगी जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होगी।