इस अस्पताल की खासियत होगी कि इसकी दीवारों का रंग रोगन और चाइल्ड फ्रेंडली इंटीरियर (Child friendly interior) होगा। एक तरफ मिकी माउस जैसे कार्टून कैरेक्टर (Cartoon character) होंगे। यानी बच्चे यहां आकर अपनी सारी बीमारियां भूल जाएंगें। अच्छे माहौल के लिए दीवारों को पूरी तरह रंगीन रखा जाएगा। रंग-बिरंगी दीवारें देख बच्चों को इस बात का जरा भी एहसास नहीं होगा उनके मां-बाप इलाज के लिए उन्हें अस्पताल लेकर आए हैं।
बच्चों की जरूरतों को रखा जाएगा ध्यान में आयोग की पूर्व सदस्य रीता सिंह (Rita Singh, former member of the commission) के मुताबिक, आयोग इसके लिए पिछले कई समय से तैयारी कर रहा था। पहले आयोग पूरे अस्पताल को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने पर विचार कर रहा था, लेकिन जमीरी स्तर पर इसकी कम संभावना को देखते हुए अस्पताल के कुछ कमरों या हिस्सों को चाइल्ड फ्रेंडली बनाने की योजना बनाई गई। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को जो सिफारिशें भेजी गई हैं उनमें बच्चों की जरूरतों के कई पहलुओं का ध्यान रखा गया है।
इसके चलते एम्स के डॉक्टरों की मदद से सिफारिश तैयार कर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय को भेजी गई हैं। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की ओर से भेजी गई सिफारिश में कहा गया है कि हर हॉस्पिटल में एक ऐसी हेल्प डेस्क भी हो जिसमें बच्चे व उनके पेरेंट्स को ज्यादा परेशानी नहीं उठानी पड़े, बच्चों व उनके परिजनों को इलाज से जुड़ी रिपोर्ट व अन्य चीज आसानी से मिल जाए। बताया गया कि इस हेल्प डेस्क में मौजूद व्यक्ति संचार में अच्छी तरह से पारंगत होना चाहिए।
एेसा होगा चाइल्ड फ्रेंडली रूम – कमरा ऐसी जगह बने जहां पर्याप्त शुद्ध हवा, पानी, वॉशरूम व रेस्ट रूम की सुविधा हो।
– जिसमें सभी आरामदायक सुविधाओं के साथ कम से कम तीन बेड, साइड मेज और तीन कुर्सी हो।
– कमरे में आस-पास ऐसे पोस्टर लगे हों या पेंटिंग बनी हो जो बच्चों को रचनात्मक तरीके से उनके मौलिक अधिकारों के बारे में जागरूक करें।
– कमरे की दीवारों की थीम बाल अधिकार, जंगल या सफारी पार्क, समुद्र, अंतरिक्ष या खगोलीय दुनिया, स्वास्थ्य गतिविधियां, प्रकृति और इंटरएक्टिव प्ले आधारित पर हो।
– प्रतीक्षालय में एक मछलीघर, किताबें, अखबार व मैगजीन हो।
– चंपक, पंचतंत्र व ब्रेल लिपि की किताब हों।
– कला के शौकीन बच्चों के लिए एक अलग कोना निर्धारित हो जहां हर तरह के रंग, पेंसिल, रबर, पेपर आदि उपलब्ध हो।
– एक बुलेटिन बोर्ड भी हो जिसमें बच्चों द्वारा बनाई आर्ट को भी लगाया जा सके।
– कमरे में हेडफोन उपलब्ध होना चाहिए, ताकि बच्चे संगीत और कुछ लोकप्रिय कहानियां सुन पाएं।
– खुशबूदार पौधे लगे हों, जिनसे वातावरण सुंगधित हो उठे।